इनकम टैक्स क्या है और इनकम टैक्स की रेट्स और अन्य रूल्स को आसानी से समझे

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Income Tax kya Hai

इनकम टैक्स एक तरह का डायरेक्ट टैक्स होता है, जो कि सरकार द्धारा आपकी इनकम पर लगाया जाता है। अगर आपकी सैलरी से इनकम है तो सैलरी पर टैक्स, बिज़नेस से इनकम है तो बिज़नेस इनकम पर टैक्स और इसी तरह अगर आपकी ब्याज से इनकम है तो इस पर टैक्स। यानि आप किसी भी तरह से पैसे कमाए आपको सरकार को इनकम टैक्स देना ही होगा।

इनकम टैक्स सरकार की आय का एक मुख्य स्रोत है। लोगों से मिलने वाले टैक्स का यूज़ सरकार द्वारा लोगों की भलाई के कार्यों में ही किया जाता है।

जैसे – कई तरह की सरकारी योजनाओं में दी जाने वाली सब्सिडी, पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर , ट्रांसपोर्ट, चिकित्सा और एजुकेशन सुविधा आदि के लिए जो सरकारी पैसा काम में आता है, वह आपके द्वारा सरकार को जमा करवाए गए टैक्स का ही होता है।

इनकम टैक्स से सम्बंधित रूल्स के लिए इनकम टैक्स एक्ट 1961 बनाया गया था। इस एक्ट में बताये गए रूल्स से ही आपके टैक्स की राशि निकाली जाती है।

सरकार द्वारा हर साल बजट जारी करके इनकम टैक्स एक्ट 1961 के रूल्स में समय – समय पर बदलाव किया जाता रहता है, ताकि पुराने नियमों को हटा कर नए रूल्स जोड़े जा सके, ताकि टैक्स से जुड़े रूल्स आज के समय में भी कारगर सिद्ध हो सके।

आज के आर्टिकल (Income Tax  kya hai) में हम इनकम टैक्स से जुडी बेसिक और इम्पोर्टेन्ट बातों के बारे में चर्चा करेंगे।

टैक्स कितने प्रकार के होते है ?  

भारत में दो तरह के टैक्स होते है, –

  • डायरेक्ट टैक्स – इस तरह के टैक्स में इनकम टैक्स (आयकर ) को शामिल किया जाता है, क्योकि इनकम टैक्स का भुगतान आपके द्वारा डायरेक्ट सरकार को किया जाता है।
  • इनडायरेक्ट टैक्स – इसमें सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, वैट, एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, जीएसटी आदि को शामिल किया जाता है। इसमें आप टैक्स का भुगतान डायरेक्ट सरकार को नहीं करते है, बल्कि इसमें आप टैक्स का भुगतान गुड्स या सर्विसेज के सप्लायर को करते है और सप्लायर द्वारा टैक्स का भुगतान सरकार को किया जाता है।

1 जुलाई 2017 से कुछ Indirect taxes को हटाकर Goods & Services Tax (GST ) लागू किया जा चुका है ।

यह भी देखे – जानिये जीएसटी क्या है और इससे जुड़े सवालो के जवाब |

सरकार द्वारा इनकम टैक्स कैसे कलेक्ट किये जाता है ?

गवर्नमेंट द्वारा इनकम टैक्स को अलग – अलग टाइम पर अलग – अलग नाम से कलेक्ट किया जाता है।

जैसे –

  • टीडीएस – यह किसी भी पर्सन को पेमेंट करने से पहले काटना होता है और उसके बाद सरकार को जमा करवाना होता है। यह चालू फाइनेंसियल ईयर के दौरान ही जमा करवाया जाता है। ( टीडीएस और इसकी कैलकुलेशन के बारे में अधिक जानने के लिए टीडीएस क्या है और इसकी कैलकुलेशन पोस्ट देखे )
  • एडवांस टैक्स – अगर किसी पर्सन की टैक्स लायबिलिटी 10 हजार से ज्यादा की होती है, तो उसे एडवांस टैक्स जमा करवाना होता है। जिस फाइनेंसियल ईयर में इनकम होती है, उसी में इसे जमा करवाना होता है। ( एडवांस टैक्स के बारे में डिटेल्स से जानने के लिए एडवांस टैक्स क्या है और कैलकुलेशन पोस्ट देखे )
  • सेल्फ असेसमेंट टैक्स – टीडीएस और एडवांस टैक्स के बाद भी अगर किसी पर्सन का कोई टैक्स बकाया रहता है, तो इस बाकी बचे हुए टैक्स को फाइनेंसियल ईयर खत्म होने के बाद जमा करवाया जाता है, जिसे सेल्फ असेसमेंट टैक्स कहा जाता है।

किन लोगो को भारत में इनकम टैक्स भरना होता है ?

भारत में सरकार द्वारा टैक्स कलेक्ट करने के लिए टैक्सपेयर की अलग – अलग केटेगरी बनायीं हुई है, इसी केटेगरी के अनुसार टैक्सपेयर पर लगने वाली टैक्स रेट का निर्धारण होता है।

टैक्सपेयर की केटेगरी –

  • इंडिविजुअल ( आदमी, औरत )
  • हिन्दू अनडिवाइडेड फैमिली ( HUF)
  • एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन ( AOP )
  • बॉडी ऑफ़ इंडिविजुअल (BOI )
  • फर्म
  • कंपनी/ एल एल पी

अगर आप एक इंडिविजुअल है, तो इस केस में आपकी केटेगरी को आगे भी अलग किया जाता है, जैसे क्या आप एक रेजिडेंट है या नॉन रेजिडेंट।

रेजिडेंशियल स्टेटस के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप residential status कैसे जाने पोस्ट देख सकते है।

इंडिविजुअल को स्लैब रेट के आधार पर टैक्स देना होता है। स्लैब रेट इंडिविजुअल की उम्र के हिसाब से अलग -अलग होती है। जैसे –

  • 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति
  • 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति
  • 80 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति

लेकिन, क्या आपको हमेशा अपनी इनकम पर टैक्स देना होगा या कितनी इनकम होने पर आपको टैक्स देना होगा या क्या इस इनकम टैक्स से बचा जा सकता है, इन सभी बातों का जवाब जानना हमारे लिए चर्चा करने का मुख्य मकसद है।

क्या आपको हमेशा अपनी इनकम पर टैक्स देना होगा ?

नहीं, आपको हमेशा इनकम टैक्स देने की जरुरत नहीं है। आपको इनकम टैक्स सिर्फ उसी केस में देना होगा, जब आपकी एक फाइनेंसियल ईयर में कमाई गयी इनकम सरकार द्वारा निर्धारित लिमिट से ज्यादा हो जाती है।

जब तक आपकी ग्रॉस टोटल इनकम इस निर्धारित लिमिट से कम रहती है, आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।

कितनी इनकम होने पर आपको टैक्स देना होगा ?

आपको कितनी इनकम होने पर टैक्स देना होगा, यह डिपेंड करता है कि आपका स्टेटस क्या है, जैसे – इंडिविजुअल, कंपनी, फर्म आदि।

फर्म या कंपनी के केस में आपकी इनकम पर एक फिक्स्ड रेट से टैक्स लगाया जायेगा। यानि कि फर्म या कंपनी के केस में आपकी इनकम कुछ भी हो आपको इस पर टैक्स देना ही होगा।

इंडिविजुअल के केस में आपकी इनकम पर टैक्स उस केस में लगेगा, जब आपकी इनकम एक फाइनेंसियल ईयर में 2.5 लाख से अधिक हो जाती है।

हालाँकि, 5 लाख तक इनकम होने पर आप सेक्शन 87A में टैक्स की रिबेट प्राप्त कर सकते है। टैक्स रिबेट के बारे में जानने के लिए आप टैक्स रिबेट क्या है और यह कब मिलती है ?  देख सकते है।

लेकिन, अगर आपकी इनकम लाटरी या किसी गेम में कोई राशि जीतने से होती है , तो इस पर 30 % की रेट से टैक्स लगाया जायेगा। इस तरह की इनकम पर आपको इनकम टैक्स स्लैब का बेनिफिट भी प्राप्त नहीं होगा।

यानि की अगर आपकी इस तरह की इनकम 10 हजार भी है तो भी आपको इनकम टैक्स का पेमेंट करना होगा।

जैसे – शर्मा जी ने किसी गेम शो में 1 लाख रुपये जीते। इस तरह की इनकम पर टैक्स लगाने के लिए न तो शर्मा जी की उम्र को देखा जायेगा और न ही स्लैब रेट निकाली जाएगी। इस 1 लाख की इनामी राशि पर सीधे 30% की रेट से टैक्स लगाया जायेगा।

इनकम टैक्स स्लैब रेट व्यक्ति (Individual )और HUF के लिए लागू होती है जबकि कंपनी और फर्म के लिए फिक्स्ड रेट से टैक्स लगाया जाता है।

इस आर्टिकल में हम सिर्फ व्यक्ति और HUF के टैक्सेशन के बारे में चर्चा करेंगे।

क्या इनकम टैक्स से बचा जा सकता है ?

अगर आपकी इनकम एक निर्धारित लिमिट से अधिक हो जाती है, तो आप कुछ खर्चे या इन्वेस्टमेंट की टैक्स में डिडक्शन प्राप्त कर सकते है।

इन टैक्स डिडक्शन के बारे में अधिक जानने के लिए आप इनकम टैक्स डिडक्शन जो आपका टैक्स बचा सकती है। पोस्ट देखे।

इनकम टैक्स एक्ट के कुछ जरुरी शब्दों का मतलब  

इनकम टैक्स क्या होता है, इसको अधिक अच्छे तरीके से समझने के लिए हमें कुछ शब्दों का मतलब पता होना चाहिये। जैसे कि –

  1. Assessee – Assessee का मतलब होता है करदाता, जो कि टैक्स या किसी दूसरी राशि का इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार सरकार को भुगतान करता है।
  2. Financial Year (F.Y.) – फाइनेंसियल ईयर वह वर्ष होता है जिस वर्ष में आपकी इनकम होती है। यह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है। For Example – मान लो आपकी जुलाई 2023  में कोई इनकम होती है, तो आपके लिए Financial Year 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 (F.Y. 2023-24) होगा।
  3. Assessment year (A.Y.) – आपके द्वारा फाइनेंसियल ईयर में कमाई गयी इनकम पर असेसमेंट ईयर में टैक्स  दिया जाता है। A.Y. वह वर्ष होता है जो की फाइनेंसियल ईयर के समाप्त होने के बाद शुरू होता है। फाइनेंसियल ईयर 2023-24 के लिए असेसमेंट ईयर 2024-25 (1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025) तक होगा।

इनकम टैक्स के कौन – कौन से हेड होते है ? Source of Income 

कोई भी पर्सन फाइनेंसियल ईयर में अलग-अलग तरीको ( Source) से पैसे कमाता है, जैसे – सैलरी, इंटरेस्ट, बिज़नेस या रेंट, कैपिटल गेन आदि। इन अलग – अलग सोर्स की इनकम को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार अलग – अलग हेड (Head) में बाँट दिया जाता है।

इन हेड के अनुसार ही आपका Income Tax Return (Itr) का फॉर्म डिसाइड होता है, जो कि आप असेसमेंट ईयर  में जमा करवाते हो।

गलत आईटीआर फॉर्म का चुनाव करने से आपकी Return defective हो सकती है, इसलिए आपको अपनी इनकम सही तरह से सही हेड में दिखानी चाहिये ।

Income Tax Return की अधिक जानकारी के लिए आप इनकम टैक्स रिटर्न के अलग -अलग टाइप्स पढ़ सकते है ।

इनकम को रिपोर्ट करने के 5 हेड होते है, जैसे कि-

  1. सैलरी से इनकम (Income From Salary) – इसमें Salary, Allowances, Perquisites, Pension, Gratuity आदि की इनकम को शामिल किया जाता है।
  2. हाउस प्रॉपर्टी से इनकम (Income From House Property) – इसमें हाउस प्रॉपर्टी को किराये पर देने से होने वाली कमाई को शामिल किया जाता है।
  3. बिज़नेस या प्रोफेशन( Profit And Gain of Business And Profession) – यदि आप कोई बिज़नेस करते है या कोई प्रोफ़ेशनल व्यक्ति है तो आपकी इनकम इस हेड में आयेगी।
  4. कैपिटल गेन (Capital Gain) – किसी कैपिटल असेट्स (प्रॉपर्टी, गोल्ड , शेयर्स etc .)को ट्रांसफर करने से होने वाली इनकम इस हेड में आयेगी।
  5. अन्य सोर्स (Income From Other Source) – जो इनकम किसी भी हेड में नहीं आती है, वो इस हेड में आयेगी जैसे कि – Interest, Dividend, F.D. Interest Etc.

इनकम टैक्स स्लैब रेट Assessment Year 2024-25 (financial year 2023-24) – 

फाइनेंसियल ईयर 2020-21 से एक इंडिविजुअल पर 2 स्लैब रेट एप्लीकेबल होती है। इन दोनों स्लैब रेट में से आप किसी भी स्लैब रेट के आधार पर टैक्स देने का चुनाव कर सकते है।

Old Tax Regime

income Tax Slab rates of Men & Women ( जो कि 60 वर्ष से कम हो )

Income tax slab आयकर स्लैब रेट 
2,50,000 की Income तक Nil
2,50,001 से 5,00,000 तक 5 %
5,00,001 से 10,00.000 तक 20 %
10,00,000 से अधिक 30 %

 

Tax Slab of Senior Citizens ( 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम )
Income tax slab इनकम टैक्स स्लैब रेट 
 3,00,000 की Income  तक Nil
3,00,001 से 5,00,000 तक 5 %
5,00,001 से 10,00,000 तक 20 %
10,00,000 से अधिक 30 %

इनकम टैक्स स्लैब रेट of Super Senior Citizens ( 80 वर्ष से अधिक )
Income tax slab Income tax slab rate
5,00,000 की Income तक Nil
5,00,001 से 10,00,000 तक 20 %
10,00,000 से अधिक 30 %

 

Plus:इन स्लैब रेट में बताई गयी रेट से टैक्स निकालने के बाद एजुकेशन सेस और सरचार्ज (अगर एप्लीकेबल है ) भी जोड़ा जाता है।

सरचार्ज (Surcharge ) :-

  • 10% of Income Tax – यदि इनकम 50 लाख से अधिक है, लेकिन 1 करोड से कम है।
  • 15 % of Income Tax – यदि इनकम 1 करोड से अधिक है।
  • 25 % of income tax – कुल इनकम 2 करोड़ से 5 करोड़ के बीच होने पर ( असेसमेंट ईयर 2020-21 से लागू )
  • 37 % of income tax – कुल इनकम 5 करोड़ से अधिक होने पर ( असेसमेंट ईयर 2020-21 से लागू )

Education Cess :-

 4 % on Income Tax + Surcharge (यदि कोई है )

अगर आपकी इनकम एक फाइनेंसियल ईयर में बिना इनकम टैक्स छूट क्लेम करे इस लिमिट से ज्यादा है तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होगा।

New Tax Regime 

Tax Slabs Income Tax Rates
up to 3,00,000 NIL
3,00,000 – 6,00,000 5%
6,00,000 – 9,00,000 10%
9,00,000 – 12,00,000 15%
12,00,000 – 15,00,000 20%
above 15,00,000 30%

 

यह भी जाने –  इनकम टैक्स की लिमिट क्या है

किसी अन्य पर्सन की इनकम पर टैक्स देना – Clubbing of Income 

क्लबिंग ऑफ़ इनकम का मतलब होता है किसी दूसरे पर्सन की इनकम जो की आपकी इनकम में जोड़ी जाएगी और जिस पर आपके द्वारा टैक्स दिया जायेगा।

इसलिए अगर आप अपनी कुल इनकम की कैलकुलेशन कर रहे है, तो ऐसी इनकम का ध्यान जरूर रखे जो कि आपकी इनकम में जोड़ी जा सकती है।

जैसे – आपने कोई हाउस प्रॉपर्टी अपने जीवन साथी के नाम बिना किसी पैसे (प्रतिफल) के ट्रांसफर कर दी, तो ऐसे केस में हाउस प्रॉपर्टी का कानूनी मालिक तो आपका जीवनसाथी है। लेकिन, इनकम टैक्स एक्ट के हिसाब से उस प्रॉपर्टी के मालिक अभी भी आप ही है , क्योकि वो हाउस प्रॉपर्टी आपने बिना किसी consideration के ट्रांसफर की है।

इसलिए, उस हाउस प्रॉपर्टी से जो भी इनकम होगी, वह आपके हाथों में ही टैक्सेबल होगी न कि आपके जीवनसाथी के।

क्लबिंग ऑफ़ इनकम के बारे में अधिक जानने के लिए आप आर्टिकल Clubbing of Income पढ़ सकते है।

इनकम टैक्स डिडक्शन  

जब आपकी ग्रॉस टोटल इनकम कैलकुलेट कर ली जाती है तो इसके बाद आपको मिलने वाली इनकम टैक्स डिडक्शन की छूट दी जाती है और इन डिडक्शन को घटाने के बाद जो नेट इनकम आती है उस पर इनकम टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है।

इनकम टैक्स कैसे बचाएं के बारे में जानने के लिए आप आर्टिकल 80C Deduction पढ़ सकते है।

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हम उम्मीद करते है की Income Tax kya Hai Aur Income Tax Ki Limit kya Hai इसके बारे में आपकी जानकारी पहले से ज्यादा अच्छी हो गयी होगी।

अगर आपको हमारा आर्टिकल(income tax in hindi )अच्छा लगता है तो आप इसे शेयर जरूर करे।

यह भी जाने :

18 COMMENTS

  1. sir apne account se apne account me money transfer karane par limit agar 250000 se uper apne hi account me ho jaye to. Income tax lagega

    • income tax sirf income par lagaya jata hai nahi ki money transfer karne par, isliye 2.50 lakh se upar apne account me transfer karne par koi tax nahi lagega .

    • Samaan purchase karne par koi income tax nahi lagta. income tax apke dhwara pure versh me kamai gayi income par lagaya jata hai.

  2. Sir maine credit card banwa rakha h jhis ki limit 1 lakh h
    M ise 92000 tak use kar leta hu
    Or us k baad ia ka bill apne saving account se karta hu jo ki mera agriculture account h
    Or meri income saal ki 240000 rs h
    To kya mujhe credit card ki paymeny k liye jo paise apne account se pay karta hu un ka income tax dena padega

    • nahi, apko saving account se credit card ke payment par koi tax nahi dena padega. lekin jo apki agriculture se income hai use apni income tax return me jarur report kare.

    • 0-2,50,000 – nil
      2,50,000- 5,00,000 (250000*5/100) – 12500
      5,00,000 – 8,00,000 (300000*20/100) – 60000

      total – 72500
      Add: education cess (72500*4/100) – 2900
      total tax – 75400

  3. Humaare saath yeh jaankari share karne ke liye shukriya. Yeh humaare zaroor kam aayegi. Hum bhi tax ki baatein samjhane ke liye Paisa Pujari namak ek Youtube channel chalate hai. Tax se judi anya batein janane ke liye humare channel ko zaroor dekhiyega.

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