इनकम टैक्स रिटर्न के अलग – अलग टाइप्स क्या होते है ? Income tax Return Rules in Hindi

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Income tax Return Rules in Hindi

Income tax Return Rules in Hindi – इनकम टैक्स रिटर्न में एक पर्सन की पूरे साल में कमाई गयी इनकम और चुकाये गए टैक्स की जानकारी होती है।  यह जानकारी टैक्सपेयर द्वारा हर साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है।

इस जानकारी को देने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको अलग -अलग आईटीआर फॉर्म्स जारी करता है, जिसका यूज़ करके आप अपनी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ साझा करते है।

इन आईटीआर फॉर्म्स को फाइल करने की एक टाइम लिमिट निर्धारित होती है, जो कि इंडिविजुअल, कंपनी और टैक्स ऑडिट के दायरे में आने वाले इंडिविजुअल के लिए अलग -अलग होती है।

अगर आप इस टाइम लिमिट के बाद अपनी रिटर्न को फाइल करते है, तो आपको इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार इंटरेस्ट और पेनल्टी का भुगतान भी करना होगा।

इनकम टैक्स रिटर्न के अलग – अलग टाइप्स होते है, जैसे –

  • ओरिजिनल रिटर्न
  • लॉस (loss ) रिटर्न
  • बिलेटेड रिटर्न
  • रिवाइज्ड रिटर्न

ये चारो तरह की रिटर्न इनकम टैक्स एक्ट के अलग -अलग सेक्शन में फाइल की जाती है, इन सेक्शन में इनको फाइल करने से सम्बंधित रूल्स भी बताये गए है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय भी आपसे पूछा जाता है कि आप कौनसे सेक्शन में अपनी रिटर्न फाइल कर रहे है।

इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न के अलग – अलग टाइप्स के बारे में जानकारी होना भी बहुत जरुरी होता है।  आज के आर्टिकल (Income tax Return Rules in Hindi) में हम इन अलग -अलग रिटर्न्स के टाइप्स के बारे में जानेगे।

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ओरिजिनल रिटर्न ( सेक्शन 139 (1 ) 

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की टाइम लिमिट,के भीतर फाइल की हुई रिटर्न्स को ओरिजिनल रिटर्न माना जायेगा।

जैसे – इंडिविजुअल के लिए रिटर्न फाइल करने की टाइम लिमिट 31 जुलाई होती है, अगर इंडिविजुअल द्धारा 31 जुलाई तक रिटर्न को फाइल कर दिया जाता है, तो यह ओरिजिनल रिटर्न मानी जाएगी।

यानि इसका मतलब यह हुआ कि जो भी आईटीआर देय तिथि ( due date ) तक फाइल की जाती है, उन्हें ओरिजिनल रिटर्न कहा जायेगा।  इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि टैक्सपेयर को आईटीआर फाइल करना अनिवार्य था या नहीं।

ओरिजिनल रिटर्न को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139 (1 ) में फाइल किया जाता है।

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लॉस रिटर्न (Loss Return)  – section 139 (3) 

यह रिटर्न भी ओरिजिनल रिटर्न ही होती है, लेकिन इसमें फर्क सिर्फ इतना सा है कि इसमें आप कुछ losses को सेट ऑफ या कैरी फॉरवर्ड करते है। यह लॉस हाउस प्रॉपर्टी, बिज़नेस या कैपिटल गेन से सम्बंधित हो सकते है।

ध्यान रखे किसी भी इंडिविजुअल को losses होने के केस में आईटीआर फाइल करने की अनिवार्यता नहीं होती है, लेकिन इन losses को अपनी दूसरी इनकम से सेट ऑफ या आगे के वर्षो मे कैरी फॉरवर्ड करने के लिए रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होता है।

हालाँकि, कंपनी या फर्म को लॉस होने पर भी इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करना अनिवार्य होता है।

लॉस रिटर्न को टाइम लिमिट के भीतर ही फाइल करना होता है, क्योकि ऐसा नहीं करने पर Losses को सेट ऑफ़ करने के लिए आगे के वर्षो में कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकेगा।

लॉस रिटर्न से जुड़े रूल्स को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139 (3 ) में बताया गया है । इस रिटर्न में जिन losses को सेट ऑफ या कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है, वे है –

  • बिज़नेस लॉस – सेक्शन 72(1)
  • स्पेकुलेशन बिज़नेस लॉस – सेक्शन 73(2 )
  • specified बिज़नेस लॉस – सेक्शन 73A (2 )
  • कैपिटल गेन हेड के losses – सेक्शन 74(1)
  • रेस के घोड़ों को रखने और रख -रखाव से होने वाले नुकसान – section 74A (3)

उदाहरण के लिये – ABC एंड कंपनी एक पार्टनरशिप फर्म है और उसके Assessment Year 2024-25  में 3,00,000 का बिज़नेस से नुकसान  है।

ABC एंड कंपनी को अपने बिज़नेस के नुकसान को क्लेम करने के लिए अपनी रिटर्न सेक्शन 139 (1 ) की समय सीमा (31 जुलाई 2024 ) तक फाइल करनी पड़ेगी ।

अगर फर्म द्धारा अपनी रिटर्न को लास्ट डेट से पहले फाइल नहीं किया जाता है, तो फर्म अपने बिज़नेस नुकसान को आगे के वर्षो में कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पायेगी, जिसकी वजह से फर्म को अगर आगे के वर्षो में प्रॉफिट होता है, तो फर्म अपने losses को सेट ऑफ नहीं कर पायेगी और उसको ज्यादा टैक्स का पेमेंट करना होगा।

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लॉस रिटर्न फाइल करने की लास्ट डेट 

बिज़नेस या कैपिटल गेन हेड से जुड़े लॉस को आगे के वर्षो में कैरी फॉरवर्ड करने के लिए आपको due date तक रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होगा।  यह देय तिथि इंडिविजुअल के केस में 31 जुलाई और ऑडिट के केस में 31 अक्टूबर होती है।

समय से रिटर्न फाइल नहीं करने पर आप अपने बिज़नेस और कैपिटल गेन हेड के नुकसानों को आगे के वर्षो में कैरी फॉरवर्ड करने का अधिकार खो देंगे और ये लॉस आपके लिए बेकार हो जायेंगे।

ध्यान रखे अगर आपको हाउस प्रॉपर्टी से कोई नुकसान होता है, तो हाउस प्रॉपर्टी के नुकसान को due date के बाद रिटर्न फाइल करने पर भी कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।

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क्या losses को चालू वर्ष के प्रॉफिट से सेट ऑफ किया जा सकता है, अगर आईटीआर समय पर फाइल नहीं की जाती है ?

यह ध्यान रखे आईटीआर को समय पर फाइल नहीं करने से आप अपने बिज़नेस या कैपिटल गेन हेड के नुकसान को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पायेंगे , लेकिन इस लॉस को उसी साल की इनकम से सेट ऑफ करने के आपके अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

यानि, कि आपने रिटर्न लास्ट डेट के बाद फाइल की हो या लास्ट डेट से पहले, आप अपने चालू वर्ष के लॉस को अपनी चालू वर्ष की इनकम से सेट ऑफ कर सकते हो।

उदाहरण के लिये – आपको दिसंबर 2023 में एक प्रॉपर्टी बेचने पर 1 लाख की हानि हुई । इस नुकसान को क्लेम करने के लिए आपको असेसमेंट ईयर 2024-25 में अपनी ITR फाइल करनी होगी।

आप इस लॉस को क्लेम करते हुए अपनी आईटीआर 31 जुलाई 2024 के बाद फाइल करते है,

तो, ऐसी स्थिति में आप 1 लाख की हानि को आगे के वर्षों में carry Forward नहीं कर पायेंगे , लेकिन अगर आपके पास उसी साल में किसी दूसरी प्रॉपर्टी को बेचने पर प्रॉफिट हुआ है , तो आप 1 लाख की हानि को उस प्रॉफिट से सेट ऑफ कर सकते है ।

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क्या लॉस रिटर्न में हुई गलती को सुधारा जा सकता है ? 

अगर आईटीआर फाइल करने में आपके द्धारा कोई गलती हो जाती है, तो इस गलती को आप रिवाइज्ड रिटर्न  फाइल करके सुधार सकते है।

यानि कि आप अपनी लॉस रिटर्न को भी रिवाइज्ड कर सकते है ।

लॉस रिटर्न सम्बन्धित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर या कर – निर्धारण ( सेक्शन 143 (3 ) या 144 ) के समाप्त होने से पहले , जो भी पहले हो, रिवाइज्ड की जा सकती है ।

जैसे – आकाश ( नॉन ऑडिट केस ) के लिए असेसमेंट ईयर 2024 – 25 की लॉस रिटर्न फाइल करने की लास्ट डेट 31 जुलाई 2024 होगी। अगर आकाश द्वारा इस रिटर्न में कोई गलती हो जाती है, तो वह इसे 31 दिसंबर 2024 तक रिवाइज्ड करके गलती को सुधार सकता है।

बिलेटेड रिटर्न – section 139 (4) 

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139 (1 ) की समय सीमा के समाप्त होने के बाद फाइल की हुई रिटर्न बिलेटेड रिटर्न होती है । यानि कि due date के बाद फाइल की गयी रिटर्न्स को बिलेटेड रिटर्न माना जाता है।

बिलेटेड रिटर्न सेक्शन 139 (4 ) में फाइल की जाती है।

बिलेटेड रिटर्न भी पूरी तरह से वैलिड होती है ,लेकिन ये आपके बिज़नेस या कैपिटल गेन की हानियों को Carry Forward करने के अधिकार को प्रभावित करती है ।

एक बिलेटेड रिटर्न में आप हाउस प्रॉपर्टी से सम्बन्धित losses को तो आगे के वर्षो में ले जा सकते हो, लेकिन बिज़नेस या कैपिटल गेन के losses को आप आगे नहीं ले जा सकते है।

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बिलेटेड रिटर्न को फाइल करने की समय -सीमा | Time Limit For Filing belated Return –

बिलेटेड रिटर्न को सम्बन्धित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर या कर – निर्धारण ( सेक्शन 144 ) के समाप्त होने से पहले , जो भी पहले हो, फाइल किया जा सकता है।

जैसे – आकाश (इंडिविजुअल ) असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए आईटीआर फाइल करना चाहते है , तो वह 31 दिसंबर 2024 तक अपनी बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकते है। अगर वह 31 जुलाई 2024 तक अपनी रिटर्न फाइल करते है, तो यह ओरिजिनल रिटर्न मानी जाएगी।

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क्या बिलेटेड रिटर्न रिवाइज्ड की जा सकती है ? 

हाँ ! असेसमेंट ईयर 2017 -18 से बिलेटेड रिटर्न भी रिवाइज्ड की जा सकती है ।

इससे पहले बिलेटेड रिटर्न रिवाइज्ड नहीं की जा सकती थी। यानि कि पहले बिलेटेड रिटर्न में कोई गलती हो गयी हो तो इसे सुधारा नहीं जा सकता था।

क्या Belated Return And Loss Return को ओरिजिनल रिटर्न माना जा सकता है ?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139 (1 ) की समय सीमा के समाप्त होने के बाद फाइल की हुई रिटर्न ओरिजिनल  रिटर्न नहीं मानी जा सकती है। इसलिए एक बिलेटेड रिटर्न को ओरिजिनल रिटर्न नहीं माना जा सकता है।

लेकिन एक Loss Return ओरिजिनल रिटर्न मानी जायेगी, क्योकि Loss Return देय तिथि से पहले फाइल की जाती है ।

यानि कि आप Loss की रिटर्न फाइल कर रहे है तो इसे आप सेक्शन 139 (1) में फाइल करेंगे। लेकिन अगर आप Loss return देय तिथि के बाद फाइल कर रहे है तो इसे आप सेक्शन 139(4) में फाइल करेंगे और फिर यह बिलेटेड रिटर्न मानी जायेगी।

Summary – Income tax Return Rules in Hindi
Types of return Sections Time limit
Regular return 139 (1) On or before the due date
Loss return 139 (3) On or before the due date
Belated return 139 (4) After the due date

 

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6 COMMENTS

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