ITR 1 filing related faqs | आईटीआर -1 से जुड़े हुए अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब

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ITR 1 filing related faqs

ITR 1 filing related faqs – टैक्सपेयर द्वारा अपनी इनकम और टैक्स का पेमेंट करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की जाती है। इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करने के लिए सरकार द्वारा आईटीआर फॉर्म्स निर्धारित किये जाते है, इन फॉर्म्स का यूज़ करके ही टैक्सपेयर द्वारा अपनी आईटीआर फाइल की जाती है। 

आईटीआर फॉर्म्स को सरकार द्वारा हर साल नोटिफाई किया जाता है, जिनको इनकम टैक्स पोर्टल पर ऑनलाइन फाइल किया जाता है। इंडिविजुअल के लिए आईटीआर फॉर्म्स को फाइल करने की Due date सम्बंधित असेसमेंट ईयर की 31 जुलाई होती है। 

सरकार द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की प्रोसेस को काफी आसान कर दिया गया है, लेकिन फिर भी टैक्सपेयर को इन फॉर्म्स से जुडी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता रहता है। 

आज के आर्टिकल (ITR 1 filing related faqs) में हम आईटीआर -1 को फाइल करने से जुड़े रूल्स पर सवाल – जवाब करेंगे। 

यह भी देखे –

Table of Contents

ITR – 1 (Sahaj) Online FAQs

असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए कौन एलिजिबल है ? ITR -1 eligibility 

आईटीआर – 1 में इनकम टैक्स रिटर्न सिर्फ रेजिडेंट इंडिविजुअल द्वारा ही फ़ाइल की जा सकती है, नॉन – रेजिडेंट, कंपनी, फर्म या LLP द्वारा नही ।

भारतीय रेजिडेंट जो कि आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए एलीजिबल है, वे ऐसे पर्सन है जिनकी – 

  • टोटल इनकम 50 लाख से ज्यादा नही हो ;
  • सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी से इनकम, फैमिली पेंशन , कृषि से आय (5000 से ज्यादा नही) और अन्य सोर्सेज से इनकम हो, अन्य सोर्सज की में इनकम शामिल हो सकती है – 
    • सेविंग अकॉउंट ब्याज
    • डिपॉजिट्स पर ब्याज (बैंक, पोस्ट ऑफिस, को – ऑपरेटिव सोसाइटी)
    • इनकम टैक्स रिफंड पर मिलने वाला ब्याज
    • सरकार से मिलने वाला कंपनसेशन अगर बढ़ाया जाता है, तो इस पर प्राप्त ब्याज
    • ब्याज से होने वाली अन्य कोई इनकम
    • फैमिली पेंशन आदि ।

ध्यान रखे – अगर आपके जीवनसाथी या माइनर चाइल्ड की इनकम आपके हाथों में क्लब होती है, तो आईटीआर – 1 आप उसी केस में फ़ाइल कर सकते है, जब जीवनसाथी या माइनर चाइल्ड की इनकम भी ऊपर बताये गए सोर्सेज से ही हो । 

जैसे – आपने अपनी वाइफ के नाम से 5 लाख की बैंक एफडी की है, तो इस बैंक एफडी से मिलने वाला ब्याज क्लबिंग प्रावधानों की वजह से आपकी इनकम माना जायेगा और ब्याज की इनकम को आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में अन्य सोर्सज की आय के तौर पर रिपोर्ट करना होगा ।

इस केस में आप आईटीआर – 1 फ़ाइल कर सकते है, क्योकि एफडी ब्याज के केस में आईटीआर – 1 फ़ाइल की जा सकती है ।

अगर इसी केस में आपके द्वारा अपनी वाइफ के नाम से प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट किया जाता और इस प्रॉपर्टी को बेचने से आपको कैपिटल गेन होता , तो यह कैपिटल गेन की इनकम आपकी इनकम होती और इसे आपको अपनी रिटर्न में रिपोर्ट करना होता ।

इस केस में आप आईटीआर – 1 फ़ाइल नही कर सकते है, क्योकि कैपिटल गेन की इनकम के केस में आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए आप एलिजिबल नही है ।

यह भी देखे –

असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए कौन एलिजिबल नही है ?

ऐसे इंडिविजुअल आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए एलिजिबल नही होंगे, जो कि 

  • भारत मे रेजिडेंट है, लेकिन सामान्य निवासी नही है या नॉन रेजिडेंट है
  • 50 लाख से ज्यादा की टोटल इनकम है 
  • कृषि से आय 5000 से ज्यादा है 
  • लॉटरी, हॉर्स रेस, गैंबलिंग, गेम्स या क्रिप्टो करेंसी से इनकम है 
  • कैपिटल गेन से इनकम है (शार्ट टर्म या लांग टर्म, कोई भी हो )
  • अनलिस्टेड इक्विटी शेयर्स में निवेश किया हो
  • बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम हो 
  • कंपनी में डायरेक्टर हो
  • सेक्शन 194N में टैक्स कटा हो ( cash withdrawal के केस में)
  • एलिजिबल स्टार्टअप से ESOP मिला हो और जिस पर टैक्स का पेमेंट डैफर्ड किया हो 
  • 1 से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टीज से इनकम हो 
  • आईटीआर – 1 फ़ाइल करने की एलिजिबिलिटी पूरी नही करता हो ।

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किस तरह की इनकम आईटीआर – 1 में रिपोर्ट नही की जा सकती है ? 

आईटीआर – 1 में रिपोर्ट नही की जाने वाली इनकम – 

  • बिज़नेस या प्रोफेशन से होने वाली इनकम
  • कैपिटल गेन 
  • हॉर्स रेस से होने वाली इनकम
  • लॉटरी या गेम्स से इनकम
  • स्पेशल रेट से टैक्सेबल इनकम

क्या आईटीआर – 1 फ़ाइल करते समय एम्प्लॉयमेंट का नेचर बताना अनिवार्य है ? 

आईटीआर – 1 फाइलिंग के समय आपको अपनी जॉब के नेचर के बारे में बताना अनिवार्य होगा । आईटीआर – 1 फाइलिंग के समय आपको कुछ ऑप्शन दिखाए जाएंगे, इन ऑप्शन में से एक ऑप्शन को आपको सलेक्ट करना होगा – 

  • सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लोयी
  • स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लोयी
  • पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज के कर्मचारी
  • प्राइवेट सेक्टर एम्प्लोयी
  • पेंशनर्स
  • एप्लीकेबल नही ( फैमिली पेंशन के केस में )

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आईटीआर – 1 को फ़ाइल करने में किन डाक्यूमेंट्स की जरूरत होती है ? 

इनकम टैक्स रिटर्न की सही फाइलिंग के लिए जरूरी है कि आपके पास रिटर्न फाइलिंग के दौरान सही डाक्यूमेंट्स उपलब्ध हो । अगर आपके पास सही और उचित डाक्यूमेंट्स है, तो रिटर्न फाइलिंग की प्रोसेस में गलतियां होने की संभावनाएं काफी कम हो जाती है ।

आईटीआर – 1 फाइलिंग के लिए अनिवार्य डाक्यूमेंट्स (documents required for itr 1 )- 

  • फॉर्म 16/ फॉर्म 16A
  • रेंट रिसीट्स ( किराये की इनकम के केस में )
  • फॉर्म 26AS (टीडीएस एंट्रीज के क्रॉस वेरिफिकेशन के लिए )
  • एनुअल इनफार्मेशन स्टेटमेंट ( फाइनेंसियल ट्रांजेक्शनों की सही रिपोर्टिंग के लिए )
  • इन्वेस्टमेंट पेमेंट प्रूफ ( सही टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए )
  • एलिजिबल खर्चों की छूट के प्रूफ ( होम लोन, ट्यूशन फीस etc.)
  • बैंक स्टेटमेंट्स ( इनकम की सही रिपोर्टिंग और अन्य ट्रांजेक्शनों के लिए )

इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय इन सभी डाक्यूमेंट्स को अपने पास रखे । साथ ही रिटर्न फाइलिंग के बाद भी इन डाक्यूमेंट्स को अपने पास संभाल कर रखे, ताकि बाद में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से किये जाने वाले किसी भी प्रकार के असेसमेंट या इन्क्वारी में काम आ सके ।

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इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है ? 

  • इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से पहले AIS और फॉर्म 26AS को डाउनलोड करके अपने टीडीएस और टीसीएस की एंट्रीज को अपने पास उपलब्ध टीडीएस सर्टिफिकेट्स से चेक करे । अगर इनमें किसी भी तरह का कोई अंतर मिलता है, तो अपने एम्प्लायर, बैंक या टीडीएस डिडक्टर ( जो भी केस हों) से संपर्क करे ।
  • आईटीआर फाइलिंग से पहले अपने पास उपलब्ध डाक्यूमेंट्स जैसे – बैंक स्टेटमेंट्स/पास बुक, ब्याज सर्टिफिकेट, exemption या डिडक्शन क्लेम करने के सर्टिफिकेट, फॉर्म 16, फॉर्म 26AS, AIS आदि को सही से चेक कर ले, ताकि आईटीआर में सही डिटेल्स भरी जा सके ।
  • आईटीआर फॉर्म्स में आजकल कुछ डिटेल्स (पैन, एड्रेस, कॉन्टेक्ट डिटेल्स, आधार नंबर, बैंक अकॉउंट आदि) पहले से भरी हुई आती है, इसलिए इन डिटेल्स को चेक करे और अगर कोई कमी है, तो उसे अपडेट करे ।
  • इनकम टैक्स रिटर्न को Due date से पहले फ़ाइल करे। Due डेट के बाद फ़ाइल करने पर लेट फीस, टैक्स पर ब्याज, losses को सेट ऑफ और कैरी फॉरवर्ड नही कर पाना आदि कई तरह की समस्या हो सकती है ।
  • आईटीआर फाइलिंग के बाद इसे वेरीफाई जरूर करे । वेरीफाई नही करने के केस में आपकी इनकम टैक्स रिटर्न प्रोसेस नही होगी और वेरीफाई करने की टाइम लिमिट समाप्त होने के बाद यह माना जायेगा, कि आपने अपनी रिटर्न फ़ाइल नही की है । इनकम टैक्स रिटर्न को वेरीफाई करने की टाइम लिमिट 120 दिनों से कम करके 30 दिन कर दी गयी है । इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन वेरीफाई किया जा सकता है ।

मै यह कैसे पता करू कि मुझे कौनसे आईटीआर फॉर्म में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करनी है ? ITR 1 filing related faqs

इनकम टैक्स रिटर्न को फ़ाइल करने के लिए सरकार द्वारा 7 अलग – अलग टाइप्स के आईटीआर फॉर्म निर्धारित किये गए है । इंडिविजुअल टैक्सपेयर द्वारा अपनी इनकम के टाइप्स और रेजिडेंशियल स्टेटस के आधार पर आईटीआर फॉर्म का चुनाव किया जाना होता है ।

अगर आपको यह नही पता कि आपको कौनसा आईटीआर फॉर्म फ़ाइल करना है, तो इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की प्रोसेस के शुरुआत में ही आप ” Help me decide which itr forms to file option ” पर क्लिक कर सकते है ।

इसके बाद आपको स्क्रीन पर कुछ प्रश्न (question) दिखाए जाएंगे, जिनका आपको जवाब देना होगा । सभी प्रश्नों के जवाब देने के बाद इनकम टैक्स पोर्टल ऑटोमैटिक आपके लिए आईटीआर फॉर्म के टाइप का चुनाव कर देगा । यह प्रोसेस बहुत आसान है ।

फॉर्म 26AS क्या है और यह मेरे क्या काम आ सकता है ? 

फॉर्म 26AS एक स्टेटमेंट होता है, जिसमे आप टीडीएस/टीसीएस, एडवांस टैक्स, सेल्फ असेसमेंट टैक्स, स्पेसिफिएड फाइनेंसियल ट्रांजेक्शन, टैक्स डिमांड, रिफंड पेंडिंग, टैक्स प्रोसेडिंग, जीएसटी टर्नओवर (if any) आदि की डिटेल्स होती है । यह सभी डिटेल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास उपलब्ध डेटाबेस से ली गयी होती है ।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको फॉर्म 26AS में दिखने वाले टैक्स की ही क्रेडिट लेने की सुविधा देता है ।

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फॉर्म 26AS में गलती होने या टीडीएस /टीसीएस की राशि कम होने पर क्या करे ? 

फॉर्म 26AS और आपके पास उपलब्ध डिटेल्स में अंतर कुछ कारणों से हों सकता है, ये कारण है – 

  • टीडीएस डिडक्टर या टीसीएस कलेक्टर द्वारा अपनी टीडीएस रिटर्न/ टीसीएस रिटर्न को फ़ाइल नही किया गया हो ।
  • टीडीएस डिडक्टर द्वारा टीडीएस का पेमेंट नही किया गया हो ।
  • टीडीएस पेमेंट के समय गलत असेसमेंट ईयर या गलत पैन या पैन ही नही डाला हो, जैसी गलतियाँ ।
  • जमा की गई टीडीएस रिटर्न में चालान की गलत डिटेल रिपोर्ट कर दी गयी हो ।

फॉर्म 26AS में गलती होने पर आप क्या करे ?

  • NSDL वेबसाइट पर करेक्शन स्टेटमेंट जमा करे ।
  • अगर गलती आपके टीडीएस डिडक्टर द्वारा की गई है, तो आप डिडक्टर से कांटेक्ट करे और उससे निवेदन करे – 
    • अपनी टीडीएस रिटर्न फाइल करने के लिए (अगर जमा नही की है )
    • अगर टीडीएस रिटर्न जमा कर दी है और उसमें दी गयी डिटेल्स गलत है, तो टीडीएस रिटर्न को रिवाइज्ड करे ।
    • अगर गलती बैंक द्वारा (पैन या टैक्स अमाउंट में ) की गई है, तो बैंक अपलोड किए गए चालान की डिटेल में करेक्शन करे ।

अगर फॉर्म 26AS में टैक्स अमाउंट गलत आ रहा है, तो यह जरूरी हो जाता है कि आप इसमे करेक्शन जरूर करवाये । अगर करेक्शन नही करवाते है, तो आपको फॉर्म 26AS में दिखाए गए टैक्स की ही क्रेडिट लेनी होगी ।

मेरी एक हाउस प्रोपर्टी है जिसमे मेरी पत्नी मेरे साथ जॉइंट ओनर है । इसके अलावा हमारी कोई भी एडिशनल हाउस प्रॉपर्टी नही है । क्या मैं असेसमेंट ईयर 2023-24 में आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए एलिजिबल हूँ ? 

आईटीआर – 1 आप उसी केस में फ़ाइल कर सकते है, जब आपकी एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी नही है, चाहे सिंगल नाम से या जॉइंट ओनरशिप के तौर पर । इस केस में आपकी सिर्फ एक ही हाउस प्रॉपर्टी है, इसलिए आप आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए एलिजिबल है ।

अगर आपकी एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी होती, तो आप आईटीआर – 1 फ़ाइल करने के लिए एलिजिबल नही होते ।

इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ? 

इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान बेकार की परेशानी से बचने के लिए इन चीजों का ध्यान जरूर रखे – 

  • आधार और पैन आपस में लिंक हो 
  • जिस अकॉउंट में आप टैक्स रिफंड चाहते है, उसको ” प्री – वैलिडट कर ले ।
  • आईटीआर फाइलिंग के समय सही आईटीआर फॉर्म का चुनाव जरूर करे, नही तो बाद में आपकी रिटर्न डिफेक्टिव हो जाएगी और इसे रिवाइज्ड करना होगा ।
  • Due डेट से पहले ही रिटर्न फाइलिंग की कौशिश करे ।
  • रिटर्न फाइलिंग के बाद इसे वेरीफाई जरूर करे।  ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीको से इसे वेरीफाई किया जा सकता है ।
  • इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से अगर कोई नोटिस प्राप्त होता है, तो इसका निर्धारित टाइम लाइन में जवाब जरूर दे ।

एडवांस टैक्स क्या होता है ? 

सैलरीड एम्प्लाइज के केस में टीडीएस के तौर पर एम्प्लायर द्वारा टैक्स काट लिया जाता है, जिससे उनकी एडवांस टैक्स जमा करवाने की लायबिलिटी कम होती है ।

लेकिन, टैक्सपेयर की अलग – अलग इनकम होने के केस में जैसे – सेविंग अकॉउंट ब्याज, फिक्स्ड डिपाजिट ब्याज, रेंटल इनकम, बांड्स या कैपिटल गेन की वजह से टैक्स लायबिलिटी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से टैक्सपेयर को अपना टैक्स एडवांस में जमा करवाना पड़ जाता है ।

टैक्सपेयर की एडवांस टैक्स जमा करवाने की लायबिलिटी तब होती है, जब उसकी बकाया टैक्स लायबिलिटी 10 हजार से ज्यादा की होती है । 

अगर टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी 10,000 से ज्यादा है, तो उसे तिमाही आधार पर साल में 4 किस्तों में एडवांस टैक्स जमा करवाना होता है ।

बोनस टिप – सीनियर सिटीजन के केस में एडवांस टैक्स जमा नही करवाना होगा, अगर सीनियर सिटीजन की बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम नही हो ।

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Allowance और Perquisites में क्या अंतर होता है ? क्या इन दोनों को मेरी इनकम समझा जाएगा ?

अलाउंस एक फिक्स्ड अमाउंट होते है, जो कि एम्प्लायर द्वारा आपको सैलरी के अलावा दिए जाते है, जैसे – conveyance अलाउंस, ट्रेवलिंग अलाउंस, यूनिफार्म अलाउंस आदि ।

अलाउंस को आपकी इनकम माना जाता है और यह सैलरी के अलावा आपकी इनकम में जोड़े जाते है । अलाउंस तीन तरीके के हो सकते है, पहला – टैक्सेबल, दूसरा – टैक्स फ्री, और तीसरा – आंशिक टैक्सेबल ।

इसके अलावा perquisites ऐसे बेनिफिट्स होते है, जो कि आपको आपकी ऑफिसियल पोजीशन की वजह से प्राप्त होते है । ये आपकी सैलरी के अलावा प्राप्त होते है ।

Perquisites टैक्सेबल और नॉन टैक्सेबल होती है ।

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क्या सभी डोनेशन 100% टैक्स से exempt होते है ? 

नहीं, सभी तरह के डोनेशन की आपको 100% टैक्स डिडक्शन नही दी जाएगी । आपको डोनेशन अमाउंट की कितनी छूट मिलेगी यह डिपेंड करता है कि आपने किस संस्थान या ट्रस्ट को डोनेशन दिया है ।

डोनेशन को टैक्स छूट देने के लिए 4 टाइप्स में अलग किया गया है, जो कि है – 

  • डोनेशन की 100% टैक्स डिडक्शन, बिना किसी qualifying लिमिट अप्लाई किये ।
  • डोनेशन की 50% टैक्स डिडक्शन, बिना किसी qualifying लिमिट के ।
  • डोनेशन की 100% टैक्स डिडक्शन, qualifying लिमिट को अप्लाई करने के बाद ।
  • डोनेशन की 50% टैक्स डिडक्शन, क्वालीफाइंग लिमिट को अप्लाई करने के बाद ।

इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय अपने डोनेशन की रसीदों को जरूर देखें और उसके अनुसार ही डिडक्शन को क्लेम करे ।

क्या ई- फाइलिंग और ई – पेमेंट एक ही चीज है ? 

नही, ई फाइलिंग इनकम टैक्स पोर्टल पर इनकम टैक्स रिटर्न को फ़ाइल करने की इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस है, जबकि ई – पेमेंट टैक्स पेमेंट करने की इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस है ।

मैंने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न जमा कर दी है और अब मुझे लगता है कि इसमें कोई कैलकुलेशन मिस्टेक रह गई है । क्या अब मैं अपनी आईटीआर को सही करके इसे वापस से जमा कर सकता हूँ ? 

हाँ, अगर आपने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न जमा कर दी हैं और अब आपको लगता है कि इसमें कोई गलती रह गयी है, तो आप इसे सही करके वापस से जमा कर सकते है । इस तरह की रिटर्न को रिवाइज्ड रिटर्न कहा जाता है ।

रिवाइज्ड रिटर्न को संबंधित असेसमेंट ईयर की समाप्ति के 3 महीने पहले तक फ़ाइल किया जा सकता है , जैसे – असेसमेंट ईयर 2023-24 की रिवाइज्ड रिटर्न 31 दिसंबर 2023 तक फ़ाइल की जा सकती है ।

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क्या मैं पिछले 3 वर्षों की इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर सकता हूं ? 

हाँ, आप पिछले 3 वर्षों की इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर सकते है । इसके लिए आपको पिछले 2 वर्षों की इनकम टैक्स रिटर्न को अपडेटेड रिटर्न के जरिये आईटीआर – U में जमा करनी होगी ।

साथ ही चालू वर्ष की रिटर्न नार्मल रिटर्न के तौर पर जमा कर सकते है । बजट 2022 में अपडेटेड रिटर्न का कांसेप्ट लाया गया था ।

revised return vs updated return | रिवाइज्ड रिटर्न और अपडेटेड रिटर्न से जुड़े 7 रूल्स ।

इनकम टैक्स रिटर्न को सेक्शन 139(1) की टाइम लिमिट के बाद में फ़ाइल करने के क्या नुकसान होंगे ? 

अगर कोई टैक्सपेयर सेक्शन 139(1) की टाइम लिमिट में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल नही करता है, तो भी उसके पास इनकम टैक्स रिटर्न को जमा करवाने का ऑप्शन रहता है ।

लेकिन, टाइम लिमिट के बाद इनकम टैक्स रिटर्न जमा करवाने पर टैक्सपेयर को सेक्शन 234F में 5000 की लेट फीस का पेमेंट करना होगा । साथ ही टैक्स अमाउंट पर भी सेक्शन 234A/B/C में एडिशनल ब्याज का पेमेंट करना होगा ।

इसके अलावा बिज़नेस और कैपिटल गेन हेड के Losses (if any) को कैरी फॉरवर्ड भी नही कर सकते है ।

यह भी देखे –

क्या मुझे इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना अनिवार्य होगा अगर बैंक या एम्प्लायर द्वारा मेरा टैक्स काट लिया गया हो ?

हाँ, बैंक या एम्प्लायर आपकी सैलरी या ब्याज की इनकम पर टैक्स काट सकते है, लेकिन उनके टैक्स काटने पर आप इनकम टैक्स रिटर्न को फ़ाइल करने की जिम्मेदारी से मुक्त नही हो जाते है ।

आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करनी होगी और उस रिटर्न में अपनी टोटल इनकम रिपोर्ट करनी होगी । अगर आपकी टैक्सेबल इनकम नही है, तो काटे गए टैक्स का रिफंड भी आप अपनी आईटीआर में कर सकते है । 

बिना इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल किये आप अपना टैक्स रिफंड क्लेम नही कर सकते है ।

क्या ज्यादा टैक्स काटने पर उसका रिफंड लिया जा सकता है ? 

अगर बैंक या एम्प्लायर या टीडीएस डिडक्टर ने आपका टैक्स काट लिया है, जबकि आपकी कोई टैक्स लायबिलिटी नही बन रही है या आपकी टैक्स लायबिलिटी कम बन रही हैं और आपका टैक्स ज्यादा बन रहा है, तो इस केस में आप अपना टैक्स रिफंड क्लेम कर सकते है ।

टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में इसे क्लेम करना होगा । इसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा आपकी इनकम टैक्स रिटर्न में किये गए रिफंड के दावे को चेक किया जाएगा । 

अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके द्वारा किये गए टीडीएस रिफंड के दावे से सन्तुष्ट है, तो वह आपको टीडीएस रिफंड जारी कर देगा । इसके बाद टीडीएस रिफंड आपके बैंक अकॉउंट में क्रेडिट हो जाएगा ।

आईटीआर -1 से रिलेटेड इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की गाइडलाइन्स को देखे।

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