income tax notices in hindi – आयकर विभाग द्वारा करदाता को कई प्रकार के नोटिस जारी किये जाते है जिसमे करदाता से कुछ सूचनाये मांगी जाती है या इनकम टैक्स रिटर्न को भरने के लिए कहा जाता है।
आयकर विभाग द्वारा किसी न किसी कारण से करदाता को नोटिस जारी किया जाता है, जिसका जवाब करदाता द्वारा नोटिस में निर्धारित टाइम लिमिट में दिया जाना होता है अन्यथा करदाता को इंटरेस्ट और पेनल्टी भुगतनी पड़ सकती है।
वर्तमान में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा टैक्सपेयर के सम्बन्ध में जरुरी जानकारी किन्ही तीसरे पक्षकारों (बैंक, म्यूच्यूअल फंड्स etc.) से एकत्रित की जाती है, जिसकी वजह से टैक्सपेयर की पूरी कुंडली इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास उपलब्ध रहती है।
अगर टैक्सपेयर अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करता है या इसमें कम इनकम रिपोर्ट करता है, तो भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इसका पता चला जाता है। अपने पास उपलब्ध सूचना के आधार पर ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस जारी करता है।
इसलिए जरुरी नहीं है कि आपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं की है, तो आपको इनकम टैक्स नोटिस जारी नहीं किया जायेगा। अगर आपके सम्बन्ध में टैक्स डिपार्टमेंट के पास सूचना है और आप इसे रिटर्न में रिपोर्ट नहीं करते है, तो आपको भी डिपार्टमेंट से नोटिस मिल सकता है।
आयकर विभाग से प्राप्त नोटिस का करदाता को एक एक्सपर्ट से सलाह लेकर जवाब देना चाहिए। इनकम टैक्स नोटिस पर ध्यान न देना आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा जारी किये गए इनकम टैक्स नोटिसेज अलग – अलग सेक्शन में Cover किये जाते है. जिनका एप्लीकेबल सेक्शन के प्रावधानों के अनुसार ही जवाब दिया जाना चाहिए।
आज के आर्टिकल (income tax notices in hindi) में हम सेक्शन 148 में आयकर विभाग द्वारा जारी किये गए नोटिस के सम्बन्ध में जानेंगे, जिसका असेसमेंट सेक्शन 147 में किया जाता है। इसे इनकम एस्केपिंग असेसमेंट के तौर पर भी जाना जाता है।
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सेक्शन 148 में जारी किया गया इनकम टैक्स नोटिस क्या है। income tax notices in hindi
जब करनिर्धारण अधिकारी (A .O . ) के पास यह विश्वास करने का पूर्ण कारण हो ( Reason to Believe ) कि करदाता की कोई इनकम पूर्व के वर्षो में टैक्स लगने से छूट गयी हो तो वह सेक्शन 148 में करदाता को नोटिस जारी करता है।
करनिर्धारण अधिकारी को शक होने या उसकी दूसरी राय होने मात्र से ही करदाता को सेक्शन 148 में नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है, बल्कि करनिर्धारण अधिकारी के पास इसका पूरा सबूत होना चाहिये। इनकम टैक्स ऑफिसर अपने मन से किसी भी पर्सन को नोटिस नहीं भेज सकता है।
करनिर्धारण अधिकारी को नोटिस जारी करने से पहले इसको जारी किये जाने के कारणों को अपने पास रिकॉर्ड करना होता है।
अगर करदाता को जारी किया गया नोटिस इनवैलिड है तो करदाता हाई कोर्ट में याचिका लगा सकता है।
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इनकम टैक्स नोटिस जारी करने के कारण – सेक्शन 147
सेक्शन 147 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी टैक्सपेयर को इनकम टैक्स नोटिस जारी करने के महत्वपूर्ण कारण हो सकते है –
- यदि करदाता द्वारा पहले के किसी वर्ष में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं की गयी थी, जबकि करदाता की कुल इनकम basic exemption limit से ज्यादा थी ;
- टैक्सपेयर की कोई इनकम नहीं थी, लेकिन किसी दूसरे पर्सन की इनकम उसकी इनकम में जुड़नी थी, लेकिन टैक्सपेयर द्वारा रिटर्न फाइल नहीं की गयी थी या इस इनकम को रिपोर्ट नहीं किया गया था ;
- करदाता द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की गयी थी, लेकिन करदाता ने रिटर्न में कम इनकम दिखाई थी या अधिक loss सेट ऑफ किया या अधिक डिडक्शन, allowance या रिलीफ क्लेम की थी ;
- करदाता का पहले के वर्षो में असेसमेंट किया जा चुका है, लेकिन उस असेसमेंट में करदाता की इनकम कम assessed की गयी या ज्यादा loss, depreciation या अन्य allowances allowed किये गए हो, तो इस केस में करदाता का दुबारा असेसमेंट भी किया जा सकता है।
- पहले के वर्ष में असेसमेंट किया जा चुका है लेकिन इनकम टैक्स की कैलकुलेशन कम रेट से की गयी हो, जैसे – कृषि से होने वाली इनकम को इनकम टैक्स रिटर्न में रिपोर्ट करना जरुरी होता है, लेकिन करदाता द्वारा कृषि इनकम को रिटर्न में रिपोर्ट नहीं किया गया जिसकी वजह से इनकम टैक्स कम रेट से कैलकुलेट किया गया हो, तो भी सेक्शन 148 में इनकम टैक्स नोटिस जारी किया जा सकता है।
- किसी भी पर्सन का भारत के बाहर बैंक अकाउंट हो या कोई अन्य प्रॉपर्टी हो जिसको उसके द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया गया हो।
- यदि किसी पर्सन का भारत के बाहर किसी entities में फाइनेंसियल इंटरेस्ट हो जिसको उसके द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया गया हो।
- करदाता द्वारा किये गए इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन के सम्बन्ध में सेक्शन 92 e में ट्रांसफर प्राइस की रिपोर्ट को Furnish नहीं किया हो या उस ट्रांजेक्शन को रिपोर्ट में show नहीं किया गया हो।
ऊपर बताये गए किसी भी ट्रांजेक्शन के सम्बन्घ में यदि करनिर्धारण अधिकारी के पास में विश्वास करने का कारण होता है तो करदाता द्वारा सेक्शन 148 में नोटिस जारी किया जा सकता है।
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क्या इनकम टैक्स नोटिस को जारी करने की कोई टाइम लिमिट होती है ? Section 148
करनिर्धारण अधिकारी द्वारा जारी किये गए इनकम टैक्स नोटिस तब ही Valid रहते है जब यह निर्धारित समय सीमा के भीतर जारी किये गए हो।
जब भी करदाता को कोई नोटिस जारी किया जाता है, तो सबसे पहले करदाता को नोटिस की टाइम लिमिट देखनी चाहिये और यह पता लगाना चाहिये की यह नोटिस टाइम लिमिट के भीतर ही है। अगर यह टाइम लिमिट के भीतर नहीं है, तो टैक्सपेयर इसका जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होगा।
इनकम टैक्स नोटिस की समय – सीमा क्या होगी, यह डिपेंड करता है कि किस सेक्शन मे आपको टैक्स नोटिस जारी किया गया है।
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 148 में जारी किया गया नोटिस Section 149 में दी गयी टाइम लिमिट के अनुसार होना चाहिये।
इनकम टैक्स नोटिस जारी करने की समय सीमा क्या होती है ?
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 149 में इनकम टैक्स नोटिस जारी करने की समय – सीमा बताई गयी है।
सेक्शन 149 के अनुसार जिस भी असेसमेंट ईयर के सम्बन्ध में इनकम टैक्स नोटिस जारी किया जा रहा है, उस असेसमेंट ईयर की समाप्ति के 3 वर्ष बाद नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है। अगर इनकम टैक्स अधिकारी इस समय – सीमा के बाद में टैक्स नोटिस जारी करता है, तो यह ” time barred ” होगा।
जैसे – असेसमेंट ईयर 2019 -20 के किसी मामले में नोटिस जारी करना है, तो इसकी समय सीमा के लिए असेसमेंट ईयर की समाप्ति के बाद के 3 वर्ष देखे जायेंगे। इस केस में असेसमेंट ईयर 31 मार्च 2020 को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद के 3 असेसमेंट ईयर 2020-21, 2021-22 और 2022-23 होंगे।
इस केस में असेसमेंट ईयर 2019-20 के सम्बन्ध में टैक्स नोटिस की लास्ट डेट 31 मार्च 2023 होगी। इसके बाद भेजे गए नोटिस “time barred ” होंगे।
लेकिन ध्यान रखे अगर असेसमेंट ईयर जिसके सम्बन्ध में इनकम टैक्स नोटिस भेजा जा रहा है, उसमे 50 लाख या इससे ज्यादा की इनकम को कम रिपोर्ट करने का मामला हो, तो इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा सम्बंधित असेसमेंट ईयर की समाप्ति के 10 वर्षो तक इनकम टैक्स नोटिस भेजा जा सकता है।
इसलिए 50 लाख या ज्यादा के मामलो में 10 वर्षो तक संभल कर रहने की जरुरत होगी। हालाँकि, नोटिस तभी भेजा जा सकता है, जब इनकम टैक्स अधिकारी के पास आपकी इनकम के सम्बन्ध में प्रूफ हो।
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इनकम टैक्स नोटिस का जवाब | Response of notice
आयकर विभाग द्वारा प्राप्त नोटिस का नोटिस में निर्दिष्ट टाइम लिमिट में जवाब दिया जाना चाहिए, सामान्यतया यह सीमा 30 दिनों की होती है, जिसमे करदाता से इनकम टैक्स रिटर्न को जमा करवाने के लिए कहा जाता है ।
नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर आयकर विभाग को इनकम टैक्स रिटर्न जमा नहीं करवाने पर 1 % प्रति महीने की रेट से इंटरेस्ट भी लगाया जा सकता है।
करदाता द्वारा रिटर्न जमा करवाने के बाद करनिर्धारण अधिकारी से नोटिस जारी किये जाने के कारणों को प्राप्त करना चाहिए।
इसलिए आयकर विभाग से प्राप्त होने वाले इनकम टैक्स नोटिसेस का जवाब देने में बिना वजह होने वाली देरी से बचना चाहिए।
असेसमेंट पूरा करने की टाइम लिमिट
करनिर्धारण अधिकारी द्वारा इनकम टैक्स नोटिसेस जारी करने के बाद में असेसमेंट को निर्दिष्ट सीमा में समाप्त करना भी जरुरी होता है अन्यथा असेसमेंट invalid हो जाता है। सेक्शन 147 में किया जाने वाला असेसमेंट नोटिस प्राप्त होने वाले फाइनेंसियल ईयर के समाप्त होने के 9 महीने के भीतर पूरा किया जाना आवश्यक होता है।
आर्टिकल (income tax notices in hindi) में हमने सेक्शन 147 में किये जाने वाले इनकम एक्स्केपिंग असेसमेंट के बारे में जाना अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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Dear Sir,
mere pas koi bhi savings nahi he to kya mujhe income tax bharna avshyak hai? tax meri salary se cut chuka hai
Agar apki income 2.5 lakh se kam hai aur apka tds kat chuka hai to ap income tax return file karke kate gaye tds ka refund le sakte hai aur yadi apki income 2.5 lakh se jyada hai to apko income tax return bharna mandatory hai.
You are a very smart individual!
thanks for this post
Dear sir,
My father is a labour and but on 30th March we received a income tax notice of 12-13 session.
Whereas my father don’t come under the income tax return.
So now how we justify this notice.
आपके पिताजी को जो इनकम टैक्स नोटिस मिला है वह सेक्शन 147 में मिला है। इसका मतलब है 2012 -13 में आपके पिताजी ने कोई ऐसा ट्रांजैक्शन किया होगा जिसकी रिपोर्ट उन्होंने अपनी रिटर्न में नहीं दी। ऐसे ट्रांजैक्शन है – किसी प्रॉपर्टी या शेयर्स को बेचना, कृषि से हुई इनकम या कोई चीज खरीदना आदि। इन ट्रांजैक्शन का पता लगाने के लिए आप 2012 -13 का अपने पिताजी का बैंक स्टेटमेंट चेक करे।
और 30 दिनों के भीतर इस नोटिस का रिप्लाई जरूर करे।