revised return vs updated return – इनकम टैक्स के बदलते रूल्स की वजह से इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग का काम कई लोगों के लिए जटिल हो सकता है। जैसे अभी तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में किसी तरह की कोई गलती होने पर आपके पास रिवाइज्ड रिटर्न फाइलिंग का ऑप्शन ही रहता था, लेकिन बजट 2022 में सरकार द्वारा अपडेटेड रिटर्न का कांसेप्ट लाकर इनकम टैक्स रिटर्न में बदलाव का एक ऑप्शन और जोड़ दिया है।
यानि कि अब इनकम टैक्स रिटर्न में रिवाइज्ड रिटर्न और अपडेटेड रिटर्न दोनों के माध्यम से बदलाव किया जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नही है कि आप अपनी इच्छा अनुसार इन दोनों में से कोई भी रिटर्न फ़ाइल कर सकते है ।
रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न और अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न के बारे में विस्तार से जानने के लिए आज के आर्टिकल (revised return vs updated return) में हम रिवाइज्ड रिटर्न और अपडेटेड रिटर्न में अंतर और दूसरे रूल्स के बारे में चर्चा करेंगे ।
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- इनकम टैक्स रिटर्न में गलती हो गयी है, तो इनकम टैक्स एक्ट के इन रूल्स पर दे ध्यान।
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Table of Contents
रिवाइज्ड रिटर्न क्या होती है ? What is revised return in hindi
टैक्सपेयर द्वारा जब इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर दी जाती है और बाद में उसे इस चीज का पता चलता है कि उसकी रिटर्न गलत है या रिटर्न में उसने किसी इनकम या डिडक्शन या losses की जानकारी नही दी है या कोई अन्य कारण ,
जिसको वह अपनी फ़ाइल की हुई रिटर्न में बदलना चाहता है, तो वह इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(5) में अपनी रिटर्न को दुबारा फ़ाइल करके यह बदलाव कर सकता है ।
आसान भाषा में कहे तो अगर टैक्सपेयर अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में किसी तरह की कोई गलत जानकारी देता है या किसी तरह की जानकारी देना भूल जाता है, तो वह सेक्शन 139(5) में अपनी रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करके उस गलती को सही कर सकता है।
जैसे – आपने अपनी असेसमेंट ईयर 2023-24 की इनकम टैक्स रिटर्न 1 जुलाई 2023 को फ़ाइल की, लेकिन बाद में आपको पता चलता है कि इस रिटर्न में आप अपनी रेंटल इनकम की जानकारी देना भूल गए, तो इस केस में आप सेक्शन 139(5) में 31 दिसंबर 2023 तक रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल करके, पहले फ़ाइल की हुई रिटर्न (ओरिजिनल रिटर्न) में बदलाव कर सकते है ।
रिवाइज्ड रिटर्न को फाइल करने की लास्ट डेट सम्बंधित असेसमेंट ईयर के 31 दिसम्बर तक होती है। इसलिए ध्यान रखे, रिवाइज्ड रिटर्न को सिर्फ इसकी टाइम लिमिट समाप्त होने के पहले ही फ़ाइल किया जा सकता है ।
रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल करने के बाद आपकी ओरिजिनल रिटर्न मान्य नही रहती है और रिवाइज्ड रिटर्न ही आपकी ओरिजिनल रिटर्न मानी जाती है ।
रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के कुछ रियल लाइफ केस –
- अशोक ने सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी और फिक्स्ड डिपाजिट से ब्याज की इनकम को रिपोर्ट करते हुए अपनी इनकम टैक्स रिटर्न ( आईटीआर ) फाइल की, लेकिन उन्होंने अपनी फ्रीलान्स कंसल्टिंग की इनकम को इसमें रिपोर्ट नहीं किया। इस केस में अशोक रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करके अपनी फ्रीलांस कन्सलटिंग की इनकम को भी आईटीआर में रिपोर्ट कर सकते है।
- गुप्ता जी ने अपनी आईटीआर में कुछ बिज़नेस खर्चों को क्लेम करते हुए रिटर्न फाइल की, लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि उनके द्वारा क्लेम किये गए बिज़नेस खर्चे गलत है, तो वह रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करके अपनी गलती को सुधार सकते है।
- राजेश ने अपनी आईटीआर में टीडीएस क्रेडिट क्लेम की, लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि उनके द्वारा क्लेम की गयी टीडीएस क्रेडिट गलत है और वह फॉर्म 26AS से मैच नहीं करती है, तो वह रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करके सही टीडीएस क्रेडिट क्लेम कर सकता है।
- शर्मा जी ने अपनी इनकम रिटर्न में कुछ टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट की छूट क्लेम की, लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि उन्होंने कुछ टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट छूट क्लेम नहीं की है, तो वह रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करके अतिरिक्त छूट क्लेम कर सकते है।
रिवाइज्ड रिटर्न फाइलिंग के यह कुछ रियल लाइफ केस है, इनके अलावा भी टैक्सपेयर जहाँ जरुरत हो वहां रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते है और वह फायदे ले सकते है, जिनको उन्होंने ओरिजिनल रिटर्न में नहीं लिया था।
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अपडेटेड रिटर्न क्या होती है ? What is updated return ?
टैक्सपेयर द्वारा फ़ाइल की हुई इनकम टैक्स रिटर्न (ओरिजिनल रिटर्न) में बदलाव करने के लिए अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल की जा सकती है,
जो कि सिर्फ उसी केस में फ़ाइल की जा सकती है, जब आपको एडिशनल टैक्स का पेमेंट करना हो और रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की टाइम लिमिट समाप्त हो गयी हो।
Q – आपने 1 जुलाई 2023 को असेसमेंट ईयर 2023-24 की इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल की, लेकिन बाद में आपको पता चलता है कि आपने ओरिजिनल रिटर्न में कोई इनकम रिपोर्ट नही की या किसी डिडक्शन या losses को ज्यादा क्लेम कर लिया , जिसकी वजह से आपको एडिशनल टैक्स का पेमेंट करना होगा, तो इस केस में आप रिवाइज्ड रिटर्न और अपडेटेड रिटर्न में से कौनसी रिटर्न फ़ाइल करेंगे ?
Ans – ऊपर बताये गए केस में टैक्सपेयर के द्वारा रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल करके अपनी ओरिजिनल इनकम टैक्स रिटर्न में बदलाव किया जा सकता है और एडिशनल टैक्स लायबिलिटी का पेमेंट किया जा सकता है ।
लेकिन, अगर रिवाइज्ड रिटर्न की टाइम लिमिट समाप्त हो चुकी है, तो टैक्सपेयर के पास दूसरा कोई ऑप्शन नही रहेगा और उसे अपडेटेड रिटर्न ही फ़ाइल करनी होगी ।
यानी कि टैक्सपेयर द्वारा अपडेटेड रिटर्न तभी फ़ाइल की जाएगी, जब रिवाइज्ड रिटर्न की टाइम लिमिट समाप्त हो चुकी होगी । इस केस में रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की टाइम लिमिट 31 दिसंबर 2023 तक समाप्त हो चुकी है, इसलिए टैक्सपेयर के पास सिर्फ अपडेटेड रिटर्न फाइल करने का ऑप्शन ही उपलब्ध होगा।
ध्यान रहे अपडेटेड रिटर्न की टाइम लिमिट रिवाइज्ड रिटर्न से ज्यादा होती है और इसको फ़ाइल करने पर टैक्स अमाउंट पर अतिरिक्त ब्याज भी देना होता है ।
रिवाइज्ड रिटर्न और अपडेटेड रिटर्न फाइलिंग की टाइम लिमिट क्या होती है ?
टैक्सपेयर द्वारा संबंधित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर तक रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल की जा सकती है । जैसे – असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए 31 दिसंबर 2023 तक रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल की जा सकती है ।
लेकिन, ध्यान रहे रिवाइज्ड रिटर्न उसी केस में फ़ाइल की जा सकती है, जब आपने अपनी ओरिजिनल रिटर्न फ़ाइल की हो और उसे वेरीफाई भी करवा दिया हो ।
अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की टाइम लिमिट –
अपडेटेड रिटर्न को फ़ाइल करने की टाइम लिमिट रिवाइज्ड रिटर्न से ज्यादा होती है । अपडेटेड रिटर्न को सबन्धित असेसमेंट ईयर की समाप्ति से 2 वर्ष तक फ़ाइल किया जा सकता है ।
- असेसमेंट ईयर 2023-24 – 31 मार्च 2026
- असेसमेंट ईयर 2022-23 – 31 मार्च 2025
- असेसमेंट ईयर 2021-22 – 31 मार्च 2024
अपडेटेड रिटर्न के संबंध में सबसे इम्पॉर्टेन्ट बात यह है कि अगर आपने इन वर्षो में अपनी रिटर्न पहले फ़ाइल नही भी की है, तो भी आप अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल कर सकते है ।
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रिवाइज्ड और अपडेटेड रिटर्न फाइलिंग सेक्शन और रूल्स (revised return vs updated return)
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(5) में रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल की जाएगी । रिवाइज्ड रिटर्न फाइलिंग में सबसे इम्पॉर्टेन्ट बात यह है कि आप अपनी रिटर्न को कितनी भी बार रिवाइज कर सकते है, इसकी कोई लिमिट नही है, बस रिवाइज्ड रिटर्न की टाइम लिमिट समाप्त नही हुई हो ।
जैसे – असेसमेंट ईयर 2024- 25 की इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की due date 31 जुलाई 2024 है। अगर आप अपनी रिटर्न फाइल करते है, तो 31 दिसंबर 2024 तक इस रिटर्न को कितनी भी बार रिवाइज्ड कर सकते है।
अगर आप रिवाइज्ड रिटर्न में भी बदलाव चाहते है, तो आप अपनी रिटर्न को वापस से रिवाइज कर सकते है । यानी कि आप अपनी रिवाइज्ड रिटर्न को भी रिवाइज्ड कर सकते है।
अपडेटेड रिटर्न को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(8A) में फ़ाइल किया जाता है । इसके लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR -U फॉर्म लांच किया है ।
आईटीआर U – PDF डाउनलोड करे
किसी भी फाइनेंसियल ईयर के लिए सिर्फ एक बार ही आपको अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल करने की सुविधा दी जाएगी । आप किसी भी वर्ष के लिए 2 बार अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल नही कर सकते है ।
क्या रिवाइज्ड रिटर्न और अपडेटेड रिटर्न फाइलिंग पर पेनल्टी चार्ज की जाएगी ?
आपको रिवाइज्ड रिटर्न की फाइलिंग पर किसी भी तरह की कोई लेट फीस या पेनल्टी जमा करवाने की जरूरत नही होगी । लेकिन, रिवाइज्ड रिटर्न में आपकी कोई एडिशनल टैक्स लायबिलिटी बन रही है, तो आपको टैक्स अमाउंट पर सेक्शन 234A/B/C में ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है ।
जबकि अपडेटेड रिटर्न में आपको सेक्शन 234A/B/C के ब्याज के अलावा रिटर्न लेट फाइलिंग फीस भी देनी होगी, जो कि सेक्शन 234F में चार्ज की जाती है । सेक्शन 234F की लेट फाइलिंग फ़ीस उसी केस में देनी होंगी, जब आपने ओरिजिनल रिटर्न फ़ाइल नही की हो ।
इसके अलावा अपडेटेड रिटर्न को फ़ाइल करने पर आपको एडिशनल इंटरेस्ट का पेमेंट भी करना होगा, जो कि टैक्स अमाउंट पर चार्ज किया जाएगा ।
अगर आप अपडेटेड रिटर्न को संबंधित अससेमेंट ईयर की समाप्ति से 12 महीने के भीतर फ़ाइल करते है, तो आपको टैक्स अमाउंट पर 25% की रेट से ब्याज चुकाना होगा ।
और अगर आप इसे संबंधित असेसमेंट ईयर की समाप्ति के 12 महीने बाद लेकिन 24 महीने के भीतर फ़ाइल करते है, तो आपको टैक्स अमाउंट पर 50% की रेट से ब्याज चुकाना होगा ।
यह भी देखे –
- इनकम टैक्स रिटर्न पर ब्याज कब जमा करवाना होगा और इसकी कैलकुलेशन। section 234A of income tax act 1961
- इनकम टैक्स रिटर्न लास्ट डेट के बाद फाइल करने पर कितना इंटरेस्ट और पेनल्टी लगायी जायेगी ?
रिवाइज्ड रिटर्न और अपडेटेड रिटर्न कब फ़ाइल नही की जा सकती है ? (revised return vs updated return)
रिवाइज्ड रिटर्न को तभी फ़ाइल किया जा सकता है, जब आपने अपनी ओरिजिनल रिटर्न को फ़ाइल किया है । अगर आपने ओरिजिनल रिटर्न फ़ाइल नही की है, तो आप रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल नही कर सकते है ।
साथ ही टाइम लिमिट समाप्त होने या असेसमेंट की समाप्ति, जो भी पहले हो, के बाद रिटर्न को रिवाइज नही किया जा सकता है ।
जबकि अपडेटेड रिटर्न को कई केसेज में फ़ाइल नही किया जा सकता है, जैसे –
- अपडेटेड रिटर्न में आपकी टैक्स लायबिलिटी कम हो रही हो ;
- अपडेटेड रिटर्न Loss रिटर्न हो ;
- आपका रिफंड जनरेट हो रहा हो ;
- जिस असेसमेंट ईयर की अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल कर रहे है, उस अससेमेंट ईयर के लिए इनकम टैक्स कार्यवाही चल रही हो ।
अपडेटेड रिटर्न से जुड़ी अन्य बातें – revised return vs updated return
- अपडेटेड रिटर्न को फ़ाइल करते समय आपको इसे फ़ाइल करने का कारण भी बताना होगा, जैसे – पहले रिटर्न फ़ाइल नही थी या इनकम को सही हेड में रिपोर्ट नही किया या इनकम गलत हेड में रिपोर्ट की गई या ज्यादा लॉस क्लेम किया गया था या गलत टैक्स रेट चूज की गई या अन्य कारण ।
- असेसमेंट ईयर 2020-21 से अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल की जा सकती है ।
- अपडेटेड रिटर्न 2.50 लाख से कम इनकम होने पर भी फ़ाइल की जा सकती है, लेकिन इसमें आपकी टैक्स लायबिलिटी बननी चाहिए (गेम्स या लॉटरी etc. से इनकम के केस में )
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