Section 44AD of income tax act 1961 – इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा छोटे टैक्सपेयर्स को सपोर्ट करने के लिए सेक्शन 44AD में “Presumptive taxation scheme” लायी गयी । यह स्कीम सिर्फ छोटे बिज़नेस पर्सन के केस में ही एप्लीकेबल होती है ।
एक बिज़नेस पर्सन के लिए अपने बिज़नेस के संबंध में बुक्स ऑफ अकाउंट्स रखना और इन अकाउंट्स की ऑडिट करवाना काफी परेशानी और खर्चीला भरा काम होता है ।
अकाउंटिंग और ऑडिटिंग दोनों में एक बिज़नेस पर्सन का काफी खर्चा लगने की वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा ऐसी स्कीम लाने की सोची गयी, जिसमे बिज़नेस पर्सन को इन दोनों कामों से छुटकारा मिल सके ।
इसी को ध्यान में रखते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा ” presumptive taxation scheme” लायी गयी ।
इस स्कीम के अनुसार अगर आप एक बिज़नेस पर्सन है और इस स्कीम को अपनाते है, तो आपको न तो बुक्स ऑफ अकाउंट्स रखने होंगे और न ही इन अकाउंट्स की ऑडिट करवानी होगी ।
लेकिन, इस स्कीम को अपनाने की कुछ शर्तें और लिमिट थी, जिनके भीतर रहकर ही काम किया जा सकता है ।
आज के हमारे आर्टिकल (Section 44AD of income tax act ) में हम सेक्शन 44ad में एप्लीकेबल presumptive taxation scheme के रूल्स और शर्तों के बारे में चर्चा करेंगे ।
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सेक्शन 44AD क्या है ? What is section 44Ad in hindi
इनकम टैक्स एक्ट 1961 का सेक्शन 44ad एक ऐसा सेक्शन है, जो कि छोटे बिज़नेस पर्सन पर एप्लीकेबल होता है ।
सेक्शन 44AD में टैक्सपेयर को अपने कुल टर्नओवर के एक निर्धारित परसेंटेज को प्रॉफिट के रूप में रिपोर्ट करना होता है और उसके बाद इस प्रॉफिट पर टैक्स देना होता है ।
हालांकि, सेक्शन 44AD और इनकम टैक्स एक्ट के नार्मल प्रावधानों के अनुसार किसी भी बिज़नेस के प्रॉफिट को डिक्लेअर करने का तरीका अलग – अलग होता है ।
जैसे – इनकम टैक्स के नार्मल प्रावधानों के अनुसार बिज़नेस के प्रॉफिट को डिक्लेअर करने का तरीका –
BUSINESS TURNOVER | XXXX |
LESS – EXPENDITURE | (XXXX) |
PROFIT/LOSS | XXXX |
यानी इनकम टैक्स के नार्मल प्रावधानों के अनुसार किसी बिज़नेस में प्रॉफिट भी हो सकता है और लॉस भी ।
लेकिन, अगर आप सेक्शन 44AD को अपनाना चाहते है, तो आपको अपने बिज़नेस का कम से कम 8 % प्रॉफिट डिक्लेअर करना ही होगा । अगर आप 8 % से कम प्रॉफिट डिक्लेअर करना चाहते है, तो आपको अपने अकाउंट्स की सेक्शन 44AB में टैक्स ऑडिट करवानी अनिवार्य होगी ।
जैसे – आपके बिज़नेस का टर्नओवर 10 लाख का है । आप सेक्शन 44AD को अपनाना चाहते है, तो इस केस में आपको अपने टर्नओवर का कम से कम 8% प्रॉफिट डिक्लेअर करना होगा । 10 लाख के टर्नओवर के केस में आपको कम से कम 80,000 का प्रॉफिट डिक्लेअर करना होगा ।
अगर आप 80,000 से कम प्रॉफिट डिक्लेअर करना चाहते है और सेक्शन 44AD को भी अपनाना चाहते है, तो आपको अपने अकाउंट्स की टैक्स ऑडिट करवानी होगी ।
ध्यान रखे – अगर आपका टर्नओवर कैश में नही मिलकर अकॉउंट पेयी चेक, अकॉउंट पेयी बैंक ड्राफ्ट या किसी इलेक्ट्रॉनिक मोड से प्राप्त होता है, तो 8% के प्रॉफिट की जगह 6 % के प्रॉफिट की लिमिट होगी ।
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सेक्शन 44AD किसके द्वारा अपनाया जा सकता है। presumptive taxation scheme section 44AD
सेक्शन 44AD छोटे टैक्सपेयर के लिए लायी गयी स्कीम है, लेकिन सभी तरह के टैक्सपेयर द्वारा इस स्कीम को नहीं अपनाया जा सकता है। यह स्कीम अपनायी जा सकती है –
- रेजिडेंट इंडिविजुअल
- रेजिडेंट हिन्दू अनडिवाइडेड फैमिली ( HUF )
- रेजिडेंट पार्टनरशिप फर्म ( इसमें LLP शामिल नहीं होगी )
इन तीनो के अलावा presumptive taxation scheme किसी भी पर्सन द्वारा ( नॉन – रेजिडेंट, कंपनी, LLP etc. ) नहीं अपनायी जा सकती है।
इसके अलावा अगर कोई पर्सन सेक्शन 10A/ 10AA/ 10B/10BA या सेक्शन 80HH या सेक्शन 80RRB की टैक्स डिडक्शन क्लेम करना चाहता है, वह पर्सन भी इस स्कीम को नहीं अपना सकता है।
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सेक्शन 44AD को कौनसे बिज़नेस पर्सन द्वारा नहीं अपनाया जा सकता है। businesses not covered under the presumptive taxation scheme | section 44AD of income tax act
अगर आप सेक्शन 44AD को अपनाना चाहते है, तो आपका बिज़नेस भी इस स्कीम के लिए एलिजिबल होना चाहिए। इसलिए सेक्शन 44AD को अपनाने से पहले अपने बिज़नेस के टाइप्स को भी जरूर देखे।
इस स्कीम को नहीं अपनाया जा सकता है –
- सेक्शन 44AE में गुड्स कैरिज के plying, hiring & leasing का बिज़नेस करने वाले।
- एजेंसी बिज़नेस करने वाले पर्सन
- कमीशन और ब्रोकरेज बिज़नेस के केस में
- प्रोफेशन के केस में
इन सभी के केस में सेक्शन 44AD को नहीं अपनाया जा सकता है।
Q – हरीश एक इंश्योरेंस एजेंट है , क्या उनके द्वारा सेक्शन 44AD को अपनाया जा सकता है ?
A – इंश्योरेंस एजेंट्स की कमीशन की इनकम होती है और कमीशन के बिज़नेस के केस में सेक्शन 44AD को नहीं अपनाया जा सकता है। इसलिए हरीश सेक्शन 44AD में रिटर्न फाइल करने के लिए एलिजिबल नहीं होंगे।
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सेक्शन 44AD के केस में टर्नओवर की लिमिट क्या होगी। Section 44AD of income tax act
जैसा कि पहले ही इस बात पर चर्चा की जा चुकी है, कि सेक्शन 44AD छोटे टैक्सपेयर्स के लिए बनायीं गयी स्कीम है। छोटे टैक्सपेयर्स को टर्नओवर के द्वारा अलग किया जा सकता है। सेक्शन 44AD को 2 करोड़ तक के टर्नओवर वाले टैक्सपेयर्स द्धारा अपनाया जा सकता है। 2 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाले टैक्सपेयर्स इस स्कीम को नहीं अपना सकते है।
क्या सेक्शन 44AD के टैक्सपेयर्स को एडवांस टैक्स जमा करवाना होगा ?
10 हजार से ज्यादा टैक्स लायबिलिटी के केस में एडवांस टैक्स जमा करवाना अनिवार्य होता है। अगर टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी इस लिमिट से ज्यादा की होती है, तो उसे एडवांस टैक्स जमा करवाना अनिवार्य होगा। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि टैक्सपेयर ने सेक्शन 44AD में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की है।
हालाँकि, सेक्शन 44AD के केस में टैक्सपेयर को एडवांस टैक्स 4 किस्तों में जमा नहीं करवाकर सिर्फ एक क़िस्त में जमा करवाना होगा। एडवांस टैक्स को जमा करवाने की लास्ट डेट 15 मार्च होगी ,अगर इस डेट तक एडवांस टैक्स जमा नहीं करवाया जाता है, तो सेक्शन 234B और सेक्शन 234C में इंटरेस्ट चार्ज किया जायेगा।
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- एडवांस टैक्स क्या है। इन रूल्स से एडवांस टैक्स कैलकुलेशन को आसानी से समझे | What is Advance Tax in Hindi
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क्या सेक्शन 44AD को एक बार अपनाने के बाद इससे बाहर निकला जा सकता है ?
अगर कोई टैक्सपेयर सेक्शन 44AD को एक फाइनेंसियल ईयर में अपनाता है, तो उसे अगले फाइनेंसियल ईयर के लिए भी उसे अपनाना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो अगले 5 वर्षो के लिए इस स्कीम को नहीं अपना सकता है ,
जैसे – आपने असेसमेंट ईयर 2021-22 में सेक्शन 44AD में अपनी रिटर्न फाइल की। लेकिन असेसमेंट ईयर 2022-23 में आपने सेक्शन 44AD में अपनी रिटर्न फाइल नहीं की, तो इस केस में आप अगले 5 वर्षो के लिए (2027-28 तक ) दुबारा सेक्शन 44AD में अपनी रिटर्न फाइल नहीं कर सकते है।
सेक्शन 44AD के केस में आईटीआर – 4 फाइल की जाती है।
presumptive taxation scheme Section 44AD of income tax act के लिए पीडीएफ डाउनलोड करे – पीडीएफ
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