कौनसी टैक्स स्लैब रेट चुने ? old and new tax slab in hindi

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old and new tax slab in hindi

old and new tax slab in hindi – फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण द्वारा बजट 2020 में पहली बार नई टैक्स स्लैब रेट का कांसेप्ट लाया गया था। नई स्लैब रेट के आने के बाद इनकम टैक्स में दो स्लैब रेट हो गयी थी। टैक्सपेयर को इन्ही दो स्लैब में से किसी एक टैक्स स्लैब रेट सिस्टम को चुनना होता था और एप्लीकेबल रेट के बेसिस पर टैक्स देना होता था।

नई टैक्स स्लैब में टैक्स देने पर टैक्सपेयर को काफी तरह की टैक्स डिडक्शन और एग्जेम्पशन का फायदा नहीं मिलता था, लेकिन नए टैक्स स्लैब सिस्टम में टैक्स लगाने की रेट्स काफी कम थी।

जबकि पुराने स्लैब रेट सिस्टम में टैक्स की रेट्स ज्यादा थी, लेकिन सभी तरह की इनकम टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती थी, जैसे – होम लोन, इंश्योरेंस पॉलिसीज, एचआरए, डोनेशन etc.

टैक्सपेयर को नई या पुरानी टैक्स स्कीम में से किस स्कीम में टैक्स देना है, का चुनाव करने के सम्बन्ध में काफी परेशानी आती थी। इसलिए आज के आर्टिकल (old and new tax slab ) में हम इन दोनों स्लैब रेट सिस्टम के बारे में चर्चा करेंगे।

Table of Contents

इनकम टैक्स स्लैब क्या होती है ? income tax slab in hindi

किसी भी इंडिविजुअल या HUF पर इनकम टैक्स लगाने के लिए स्लैब रेट सिस्टम होता है, इसी स्लैब रेट सिस्टम के आधार पर इनकम टैक्स चार्ज किया जाता है। इस सिस्टम में टैक्सपेयर को सबसे पहले उसकी इनकम और उम्र के अनुसार अलग – किया जाता है और उसके बाद एप्लीकेबल टैक्स रेट्स से टैक्स चार्ज किया जाता है।

स्लैब रेट सिस्टम में जैसे – जैसे टैक्सपेयर की इनकम बढ़ती जाती है वैसे – वैसे टैक्सपेयर पर लगने वाली टैक्स की रेट भी बढ़ती जाती है। स्लैब सिस्टम में अधिक इनकम वाले पर्सन पर अधिक टैक्स और कम इनकम वाले पर्सन पर कम टैक्स लगाया जाता है।

इंडिविजुअल पर कौनसी टैक्स स्लैब रेट एप्लीकेबल होगी, इसके लिए इंडिविजुअल को उसकी उम्र के अनुसार अलग – अलग कर दिया जाता है, जैसे –

  • 60 वर्ष से कम
  • 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम ( सीनियर सिटीजन )
  • 80 वर्ष से ज्यादा ( सुपर सीनियर सिटीजन )

हालाँकि, इनकम टैक्स की नई स्लैब रेट सिस्टम में उम्र के हिसाब से स्लैब रेट में बदलाव नहीं होगा, सभी उम्र के इंडिविजुअल पर नयी स्लैब रेट में समान टैक्स रेट होगी।

इनकम टैक्स के बारे में अधिक जानने के लिए – इनकम टैक्स क्या है ? पोस्ट देखे।

सीनियर सिटीजन को मिलने वाले टैक्स बेनिफिट्स के लिए सीनियर सिटीजन टैक्स बेनिफिट्स पोस्ट देखे।

कौनसे टैक्सपेयर को नई या पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देने का ऑप्शन मिलेगा ?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार स्लैब रेट सिर्फ इंडिविजुअल या HUF पर एप्लीकेबल होती है, जबकि कंपनी, फर्म व लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) पर टैक्स की एक फिक्स्ड रेट एप्लीकेबल होती है।

इसलिए, इंडिविजुअल या HUF को ही नयी या पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देने का ऑप्शन चूज करना होगा।

क्या नॉन रेजिडेंट भी old and new tax slab में टैक्स देने का चुनाव कर सकते है ? ( new tax regime for non resident )

भारत में नॉन रेजिडेंट व्यक्ति भी नयी या पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देने का ऑप्शन चूज कर सकता है।

नॉन रेजिडेंट के लिए स्लैब रेट का चुनाव करने से पहले सबसे इम्पोर्टेन्ट बात यह ध्यान में रखना होगा, कि नॉन रेजिडेंट को पुरानी स्लैब रेट में भी उम्र का कोई बेनिफिट प्राप्त नहीं होता था ।

जैसे – अगर नॉन रेजिडेंट सीनियर सिटीजन भी है, तो भी उसके केस में 2.5 लाख की स्लैब रेट ही एप्लीकेबल होगी। यानि कि किसी नॉन रेजिडेंट की भारत में इनकम 2 लाख 50 हजार से ज्यादा है, तो उसको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होगा।

Non – Resident के रेजिडेंशियल स्टेटस के बारे में अधिक जानने के लिए residential status in hindi देखे

इनकम टैक्स रिटर्न के बारे में अधिक जाने – इनकम टैक्स रिटर्न क्या है और इनकम टैक्स रिटर्न के सभी फॉर्म्स की डिटेल ( NEW FORMS)

क्या old and new tax slab में सैलरीड और बिज़नेस पर्सन में कोई अंतर किया गया है ?

टैक्सपेयर को हर साल नयी या पुरानी स्लैब रेट में से किसी एक को चूज करने का चुनाव करना होगा, लेकिन सैलरीड और बिज़नेस पर्सन के लिए इन दोनों स्कीम में चुनाव करने के रूल्स अलग -अलग है।

 सैलरीड पर्सन के लिए टैक्स स्लैब का चुनाव (बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम नहीं होने पर ) – 

अगर किसी इंडिविजुअल या HUF की बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम नहीं है, तो टैक्सपेयर द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय नई या पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देने के ऑप्शन का चुनाव किया जा सकता है।

अगर टैक्सपेयर नयी टैक्स स्लैब रेट में टैक्स देने का ऑप्शन चूज करना चाहता है, तो इसे इनकम टैक्स रिटर्न में सेक्शन 115BAC को सलेक्ट करना होगा। इनकम टैक्स रिटर्न में जब तक आप इसे सलेक्ट नहीं करते है, तब तक आपके ऊपर पुरानी स्लैब रेट ही एप्लीकेबल होगी।

बजट 2023 में इनकम टैक्स की नयी स्लैब रेट को ही डिफ़ॉल्ट स्लैब रेट के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अब इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय टैक्सपेयर पर नई स्लैब रेट ही एप्लीकेबल होगी। टैक्सपेयर को अगर पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देना है, तो उसे पुरानी स्लैब रेट को चुनना होगा।

बिज़नेस या प्रोफेशनल इनकम नहीं होने के केस में टैक्सपेयर को हर साल old and new tax slab में से किसी भी एक स्लैब को चुनने का ऑप्शन रहता है।

सैलरीड पर्सन को हर साल अपने एम्प्लायर को  टीडीएस डिडक्शन के लिए नयी या पुरानी स्लैब में से कौनसी टैक्स स्लैब चूज की है , के बारे में जानकारी देनी होगी , ताकि एम्प्लायर द्धारा एम्प्लोयी का टीडीएस काटा जा सके, लेकिन एम्प्लोयी द्धारा इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से पहले इसमें बदलाव भी किया जा सकता है।

बिज़नेस या प्रोफेशनल से इनकम होने के केस में – 

अगर टैक्सपेयर की बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम होती है, तो टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय नई या पुरानी स्लैब रेट में टैक्स देने के ऑप्शन को चूज करना होगा।

टैक्सपेयर अगर एक बार इस ऑप्शन को चूज कर लेता है, तो हमेशा उसके ऊपर यह ऑप्शन लागू होगा। यानि कि टैक्सपेयर को हर साल old and new tax slab में चुनाव का ऑप्शन नहीं मिलेगा।

हालाँकि, अगर बाद में टैक्सपेयर की बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम नहीं रहती है, तो टैक्सपेयर को वापस से दोनों टैक्स स्लैब में चुनाव का ऑप्शन मिल जायेगा।

नोट – अगर बिज़नेस पर्सन या प्रोफेशनल एक साल नयी टैक्स स्लैब में टैक्स देने का चुनाव करता है, तो वह अगले साल वापस से पुरानी स्लैब में टैक्स दे सकता है, लेकिन वापस पुरानी स्लैब में आने के बाद टैक्सपेयर कभी भी नयी टैक्स स्लैब में टैक्स देने का चुनाव नहीं कर पायेगा।

नयी और पुरानी टैक्स स्लैब रेट में क्या डिफरेंस है ? old and new tax slab in hindi –

नयी स्लैब रेट फाइनेंसियल ईयर 2020-21 से एप्लीकेबल की गयी थी । इस स्लैब में टैक्स देने का चुनाव करने पर आपको कम रेट से टैक्स देना होगा, लेकिन कई तरह की डिडक्शन और खर्चो की छूट आपको नहीं दी जाएगी।

लेकिन, अगर आप पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देते है, तो आपको थोड़ी ज्यादा रेट से टैक्स देना होगा, लेकिन आप सभी तरह की डिडक्शन और खर्चो की छूट ले पाएंगे ।

Old Slab Rate for financial year 2022 -23  (assessment year 2023 -24  )

For Individual/ HUF ( 60 वर्ष से कम )
up to 2.5 lakhs Nil
2.5 lakhs to 5 lakhs 5%
5 lakhs to 10 lakhs 20%
more than 10 lakhs 30%
For Individual/ HUF( 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम – सीनियर सिटीजन )
up to 3 lakhs Nil
3 lakhs to 5 lakhs 5%
5 lakhs to 10 lakhs 20%
more than 10 lakhs 30%
For Individual/ HUF ( 80 वर्ष से अधिक – सुपर सीनियर सिटीजन )
up to 5 lakhs Nil
5 lakhs to 10 lakhs 20%
more than 10 lakhs 30%

 

New Slab Rate for financial year 2022-23 (assessment year 2023- 24 )

Tax Slab Tax Rate
Upto 2.5 lakh nil
2,50,000 to 5,00,000 5%
5,00,000 to 7,50,000 10%
7,50,000 to 10,00,000 15%
10,00,000 to 12,50,000 20%
12,50,000 to 15,00,000 25%
Above 15,00,000 30%

 

बजट 2023 में इनकम टैक्स की नई स्लैब में बदलाव किया गया है, जबकि पुरानी स्लैब रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं है। इस बजट में इनकम टैक्स की बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट को भी 2.50 लाख से बढ़ाकर 3 लाख किया गया है।

3 लाख की मिनिमम टैक्सेबल लिमिट पुराने स्लैब रेट सिस्टम में लागू नहीं होगी। पुरानी टैक्स रिजीम में 2.50 लाख की बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट ही एप्लीकेबल होगी। इसके अलावा बजट 2023 में स्लैब रेट्स की संख्या में भी बदलाव किया गया है। इनकम टैक्स की 6 टैक्स रेट्स को कम करके 5 टैक्स रेट्स किया गया है।

ध्यान रखिये यह स्लैब रेट असेसमेंट ईयर 2024- 25 से एप्लीकेबल होगी।

New tax slab after budget 2023 

Up to 3,00,000 nil
3,00,000 – 6,00,000 5%
6,00,000 – 9,00,000 10%
9,00,000 – 12,00,000 15%
12,00,000 – 15,00,000 20%
Above 15,00,000 30%

 

बजट 2023 में 7 लाख तक की इनकम वाले करदाताओं को टैक्स से राहत दी गयी है। अब 7 लाख तक की इनकम वाले टैक्सपेयर को टैक्स नहीं देना होगा।

जिस भी पर्सन की इनकम 7 लाख है और उसके द्वारा नई टैक्स स्लैब में टैक्स देने का चुनाव किया जाता है, तो उस करदाता को सेक्शन 87A में टैक्स अमाउंट की रिबेट दी जाएगी। यह टैक्स रिबेट 25,000 या टैक्स अमाउंट, जो भी कम है, की दी जाएगी।

अगर किसी पर्सन की इनकम 7 लाख से ज्यादा है और उसके द्वारा नई टैक्स स्लैब चूज की जाती है, तो उसे सेक्शन 87A में टैक्स रिबेट नहीं मिलेगी और उसकी इनकम पर 3 लाख की बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट से टैक्स लगाया जायेगा।

जैसे – किसी पर्सन की टोटल इनकम 7,10,000 है और उसके द्वारा नई टैक्स स्लैब में टैक्स देने का ऑप्शन चूज किया जाता है, तो उसकी टैक्स की कैलकुलेशन 3 लाख की इनकम से की जाएगी न कि 7 लाख से।

सेक्शन 87A की रिबेट क्लेम करने की लिमिट पुरानी टैक्स रिजीम में 5 लाख है। 7 लाख की लिमिट सिर्फ नई टैक्स रिजीम में ही प्राप्त होगी।

यह भी देखे – income tax changes in budget 2023 | बजट 2023 के बाद इनकम टैक्स में किये गए इन 14 बदलावों को जाने

कौनसे टैक्स बेनिफिट्स old vs new tax regime में नयी टैक्स स्लैब को चूज करने के बाद आपको प्राप्त नहीं होंगे ?

नयी टैक्स स्लैब को चूज करने का सबसे बड़ा नुक़सान यह है कि इसमें आपको कई तरह की डिडक्शन और खर्चो की छूट प्राप्त नहीं होगी।

डिडक्शन और Exemption, जो कि new tax slab rate के चुनाव करने पर आपको नहीं दिए जायेंगे –

नयी टैक्स स्लैब रेट में टैक्स देने का ऑप्शन चूज करने पर आपको इनमे से किसी भी टैक्स बेनिफिट्स का फायदा नहीं मिलेगा।

ध्यान रखिये – बजट 2023 के बाद से नई टैक्स रेट को चुनने पर भी कुछ टैक्स डिडक्शन का फायदा आपको दिया जायेगा। बजट 2023 के अनुसार नई टैक्स स्लैब रेट को चुनने पर स्टैण्डर्ड डिडक्शन, फैमिली पेंशन की डिडक्शन और सेक्शन 80CCH में अग्निवीर कार्पस फण्ड में निवेश की छूट आपको दी जाएगी।

ऐसे losses जिन्हे आप carry forward नहीं कर पाएंगे –

अगर आप नयी टैक्स स्लैब में टैक्स देते है, तो आप कुछ losses को आगे के वर्षो में carry फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे, जैसे –

  • हाउस प्रॉपर्टी से जुड़े losses
  • ऊपर बताये गए किसी भी खर्चे से जुड़े डेप्रिसिएशन ( चाहे वो करंट ईयर का हो या पुराने वर्षो से carry फॉरवर्ड किया गया हो )

losses को सेट ऑफ के रूल्स जानने के लिए देखे –

क्या नई टैक्स व्यवस्था में सेक्शन 87A की टैक्स रिबेट दी जायेगी ?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 में 5 लाख तक की इनकम वाले पर्सन को सेक्शन 87A में टैक्स की रिबेट प्राप्त होती है, जिसके अनुसार 5 लाख तक की इनकम वाले पर्सन को 12,500 या टैक्स अमाउंट जो भी कम हो, टैक्स अमाउंट की रिबेट दी जाएगी।

आप नयी या पुरानी स्लैब रेट में से कोई भी स्लैब रेट को चूज करे, आपको सेक्शन 87A में टैक्स रिबेट दी जाएगी।

बजट 2023 के बाद से सेक्शन 87A की टैक्स रिबेट को 7 लाख तक इनकम वाले टैक्सपेयर द्वारा क्लेम की जा सकती है। लेकिन यह नई लिमिट सिर्फ नई टैक्स रिजीम में ही प्राप्त होगी। पुरानी टैक्स रिजीम में 5 लाख की लिमिट ही एप्लीकेबल होगी।

सेक्शन 87A की टैक्स रिबेट को आसानी से समझे – इनकम टैक्स की लायबिलिटी में टैक्स रिबेट कब दी जाती है – section 87A in hindi

सेक्शन 89 में टैक्स रिलीफ –

कई बार टैक्सपेयर को सैलरी एडवांस में या पुरानी सैलरी एक साथ मिलती है, इसलिए उस वर्ष में इनकम अधिक होने पर टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी ज्यादा आ जाती है।

इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्धारा टैक्सपेयर को सेक्शन 89 में टैक्स रिलीफ दी जाती है, जिससे टैक्सपेयर पर टैक्स का भार कम से कम आये।

टैक्सपेयर को नयी या पुरानी टैक्स स्लैब, दोनों में सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम करने का अधिकार होगा।

सेक्शन 89 में मिलने वाली टैक्स रिलीफ के बारे में अधिक जानने के लिए सेक्शन 89 की रिलीफ से कैसे हम टैक्स बचा सकते है -section 89 tax relief in hindi

conclusion –

टैक्सपेयर को नयी टैक्स स्लैब रेट से टैक्स देना चाहिए या पुरानी टैक्स स्लैब रेट में ही बने रहना होगा, इसके लिए टैक्सपेयर को दोनों स्कीम में अपने टैक्स की कैलकुलेशन करनी होगी।

बजट 2023 में नई टैक्स रिजीम में सेक्शन 87A की टैक्स रिबेट क्लेम करने के लिए टोटल इनकम का दायरा 7 लाख कर देने की वजह से कई करदाताओं का ध्यान नई टैक्स स्लैब की तरफ आकर्षित होगा।

लेकिन , टैक्सपेयर द्वारा किसी तरह की टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश किया गया है, तो इन निवेश की टैक्स छूट क्लेम करने के लिए टैक्सपेयर को पुरानी स्कीम में ही टैक्स देने का ऑप्शन चूज करना होगा।

अगर इन सबकी छूट लेने के बाद भी पुरानी टैक्स स्लैब में टैक्स ज्यादा बन रहा है और नई टैक्स स्लैब में इनकी छूट को क्लेम करे बिना कम टैक्स बनता है, तो टैक्सपेयर को नयी टैक्स स्लैब को प्राथमिकता देनी चाहिये।

कुल मिलाकर टैक्सपेयर को पहले दोनों स्कीम में लगने वाले टैक्स की कैलकुलेशन करनी चाहिए और उसी के अनुसार बेस्ट स्कीम का चुनाव करना चाहिए।

जैसे – किसी सैलरीड एम्प्लोयी की कुल सैलरी 10 लाख है और उसको नई टैक्स स्लैब या पुरानी टैक्स स्लैब में से किसी एक को चूज करना है, तो उसे पहले दोनों स्कीम में अपना टैक्स निकालना चाहिए।

old slab new slab
income from salary 10,00,000 10,00,000
less – standard deduction 50,000 50,000
home loan interest 2,00,000
Gross Total Income 7,50,000 9,50,000
less – section 80C deduction 1,50,000
Total Income 6,00,000 9,50,000
Tax on total income 32,500 52,500

 

यह सिर्फ उदाहरण के लिए है, एम्प्लोयी द्वारा क्लेम की जाने वाली डिडक्शन अलग हो सकती है।

हालाँकि, अगर टैक्सपेयर की बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम होती है, तो उसे नई टैक्स स्लैब को चुनने से पहले भविष्य में होने वाली इनकम के बारे में भी सोचना होगा, क्योकि इस केस में अगर आपने नई स्लैब रेट एक बार चूज की तो आगे भी आपको इसी स्लैब रेट से टैक्स देना होगा।

नोट – बजट 2023 के बाद से नई टैक्स रिजीम में भी स्टैण्डर्ड डिडक्शन क्लेम की जा सकती है।

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यह भी देखे –

1 COMMENT

  1. Expences or hobbies expenses, 1/3rd of total income will have to be deducted as per circular number 21/32/2013 – PD/2392 dt 19/09/1992.
    इसके बारे में भी बताए। इसके बाद भी कुछ चेंज हुआ हो यो कृपया शेयर करें।

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