सेक्शन 89 की रिलीफ से कैसे हम टैक्स बचा सकते है – relief under section 89 of income tax act in hindi

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relief under section 89 of income tax act in hindi

section 89 of income tax act in hindi – एक टैक्सपेयर को इनकम टैक्स में अधिक टैक्स लायबिलिटी से बचाने के लिए section 89 में relief दी जाती है। सेक्शन 89 की relief तब दी जाती है जब किसी पर्सन को एडवांस सैलरी, arrears of salary, family pension या profit in lieu of salary प्राप्त होती है।

जब भी किसी पर्सन को पुराने वर्षो की salary का arrear मिलता है तो उसकी कुल इनकम बढ़ जाती है। इसके साथ ही स्लैब रेट में भी बदलाव हो जाता है, जिसके कारण अधिक टैक्स देना पड़ता है। Section 89 की रिलीफ इसी बढ़े हुए टैक्स की हमें रिलीफ प्रदान करती है।

यदि हमें arrears of salary या एडवांस में सैलरी प्राप्त होती है तो फाइल की जाने वाली इनकम टैक्स रिटर्न में Section 89 की रिलीफ क्लेम कर सकते है।

आज के आर्टिकल में हम जानेंगे कि relief under section 89 क्या होती है, कैसे प्राप्त होती है, रिलीफ की कैलकुलेशन क्या होती है और अन्य provisions क्या होते है ?

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सैलरी पर टैक्स कब देना होता है ?

सेक्शन 89 की रिलीफ को समझने से पहले हम जानेंगे कि सैलरी पर इनकम टैक्स कब देना होता है।

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार सैलरी due या प्राप्ति, जो भी पहले हो टैक्सेबल होती है। जैसे – मार्च 2020 में देय(Due) सैलरी अप्रैल 2020 में प्राप्त होती है तो यह फाइनेंसियल ईयर 19-20 में टैक्सेबल होगी न कि अप्रैल में प्राप्त होने के कारण फाइनेंसियल ईयर 2020-21 में।

जब Arrears of salary प्राप्त होता है तो यह प्राप्ति के वर्ष में टैक्सेबल होता है,क्योकि यह पहले के वर्षो से सम्बंधित होता है और उस समय इस पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता जब यह due होता है। इसी तरह एडवांस सैलरी भी उस समय टैक्सेबल होगी जब यह प्राप्त की जाती है न कि उस समय जब यह due होती है।


सेक्शन 89 की रिलीफ कैसे कैलकुलेट की जाती है ? relief under Section 89 of income tax act in hindi calculation –

Section 89 of income tax act की रिलीफ को निकालने के लिए कुछ स्टेप्स को फॉलो करना पड़ता है, जो कि है –

  1. जिस वर्ष में arrears of salary प्राप्त होता है, उस वर्ष में arrears को शामिल करते हुए कुल इनकम पर टैक्स निकाले,
  2. arrears of salary जिस वर्ष में प्राप्त हुआ है,उस वर्ष में arrears को शामिल नहीं करते हुए टैक्स निकाले,
  3. स्टेप 1 और स्टेप 2 का difference निकाले (2-1),
  4. जिस वर्ष से arrears of salary सम्बंधित है उस वर्ष में arrears को शामिल करते हुए कुल इनकम पर टैक्स निकाले,
  5. arrears of salary जिस वर्ष से उस वर्ष में arrears को शामिल नहीं करते हुए कुल इनकम पर टैक्स निकाले,
  6. स्टेप 4 और स्टेप 5 का difference निकाले (4-5 ),
  7. स्टेप 3 में से स्टेप 6 का डिफरेंस निकाले,

स्टेप 3 का अमाउंट जितना अधिक आयेगा, उस अमाउंट की Section 89 में रिलीफ दी जायेगी। लेकिन स्टेप 6 का अमाउंट अधिक आता है तो कोई रिलीफ नहीं दी जायेगी।

इसको समझने के लिए एक example देखते है –

मान लीजिये आपकी असेसमेंट ईयर 2020-21 में इनकम 10 लाख है और 1 लाख का आपको salary का arrear प्राप्त होता है, जो कि असेसमेंट ईयर 19-20 से सम्बंधित है । असेसमेंट ईयर 2019-20 में आपकी कुल इनकम 7 लाख है। तो इस केस में सेक्शन 89 की रिलीफ की कैलकुलेशन क्या होगी ?

solution –

Particulars A.Y. 2020 -21 A.Y. 2019 -20
income before arrears 10,00,000 7,00,000
Tax liability ( A) 1,17,000 54,600
Arrears 1,00,000 1,00,000
Income after arrears 11,00,000 8,00,000
Tax liability ( B) 1,48,200 75,400
Tax liability (B-A) 31,200 20,800
Tax relief under section 89 (31200-20800) 10,400
Tax payable in A.Y. 2019-20 (148200-10400) 1,37,800

 

इस प्रकार इस example में आप देख सकते है कि बिना सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम किये असेसमेंट ईयर 2019 -20 के लिए टैक्स लायबिलिटी Rs 1,48,200 आ रही है। और section 89 relief को क्लेम करने के बाद यह 1,37,800 आ रही है। यानि कि इस केस में आपको Rs 10,400 की रिलीफ मिल रही है।

नोट : टैक्स कैलकुलेशन – 

relief under section 89 of income tax act in hindi

How to claim relief under section 89 of income tax act ? सेक्शन 89 की रिलीफ को कैसे क्लेम करे ?

सेक्शन 89 की रिलीफ की कैलकुलेशन को क्लेम करने के बाद इसे आपकी इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होता है। जब भी आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते है तो उसमे सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम के लिए अलग से एक कॉलम होता है। उस कॉलम में section 89 की रिलीफ के अमाउंट को डालना होता है।

जब भी आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में section 89 relief को क्लेम करते है तो आपको फॉर्म 10 E फाइल करना भी जरुरी होता है। ऐसा नहीं करने पर आपकी रिटर्न प्रोसेस नहीं की जाएगी।

form 10e को इनकम टैक्स ऑनलाइन पोर्टल पर फाइल किया जा सकता है। इनकम टैक्स ऑनलाइन पोर्टल पर जाने के बाद आपको लॉगिन करना होता है और इनकम टैक्स फॉर्म्स में जाकर फॉर्म 10e को सेलेक्ट करना होता है।

फॉर्म 10 e को सेलेक्ट करने के बाद उसमे आपको arrears of सैलरी और रिलीफ के अमाउंट को भरना होता है।

जब भी आप सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम को करते है तो फॉर्म 10 e को जरूर फाइल करे।

क्या फॉर्म 10 E फाइल नहीं करने पर इनकम नोटिस मिल सकता है ?

Form 10 e फाइल नहीं करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको इनकम टैक्स नोटिस जारी कर सकता है। इस नोटिस में आपको फॉर्म 10 e को फाइल करने के लिए कहा जा सकता है। जब तक आप इस नोटिस के जवाब में form 10 e को फाइल नहीं करते है तब तक आपकी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की हुई नहीं मानी जायेगी।

इसलिए जब भी आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में section 89 की रिलीफ को क्लेम करते है तो फॉर्म 10 e को जरूर फाइल करे।

section 89 की रिलीफ के सम्बन्ध में हमारे आर्टिकल relief under section 89 of income tax act in hindi को आगे शेयर जरूर करे।

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