कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन से जुड़े इम्पोर्टेन्ट रूल्स – composition scheme under gst

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composition scheme under gst

composition scheme under gst – जीएसटी लॉ में दो तरह की टैक्स स्कीम चलती है, जिसमे कोई पर्सन रजिस्ट्रेशन करवा सकता है – (1) नार्मल स्कीम (2 ) कम्पोजीशन स्कीम .

अगर कोई पर्सन जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है, तो वह इन दोनों स्कीम्स में से एक में रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। इन दोनों स्कीम के अपनाने के कुछ फायदे भी है तो कुछ नुकसान भी।

लेकिन, यदि कोई ऐसा पर्सन जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है, जिसका टर्नओवर भी ज्यादा नहीं है और ज्यादा रिकार्ड्स को मेन्टेन करना या जीएसटी की रेट्स के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता, तो उसे कम्पोजीशन स्कीम में ही रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए।

लेकिन, कम्पोजीशन स्कीम सिर्फ उन्ही पर्सन द्धारा अपनायी जा सकती है जो कि specified कंडीशन को पूरा करते है। अगर कोई पर्सन इन specified कंडीशन को पूरा नहीं करता तो उसे नार्मल स्कीम में ही रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

आज के आर्टिकल (composition scheme under gst) में हम कम्पोजीशन स्कीम से जुड़े प्रावधानों के बारे में जानेंगे।

कम्पोजीशन स्कीम किसके द्धारा अपनायी जा सकती है ? composition scheme under gst

सबसे इम्पोर्टेन्ट बात यह है कि कम्पोजीशन स्कीम सिर्फ उन्ही पर्सन द्धारा अपनायी जा सकती है जिनका टर्नओवर पिछले फाइनेंसियल ईयर में Rs. 1.50 करोड़ से कम हो। यदि किसी पर्सन का इससे ज्यादा टर्नओवर होता है तो उसे नार्मल स्कीम में ही रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

हालाँकि स्पेशल केटेगरी states में यह लिमिट Rs. 75 लाख की होगी। स्पेशल केटेगरी states में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, उतराखंड, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, मेघालय, त्रिपुरा को शामिल किया गया है। असम, जम्मू & कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और बाकी सभी राज्यों के लिए composition scheme की लिमिट 1.50 करोड़ की ही एप्लीकेबल होगी।

इसके अलावा पहले कम्पोजीशन स्कीम सिर्फ उन्ही पर्सन के द्धारा अपनायी जा सकती थी, जो कि केवल गुड्स की सप्लाई या सिर्फ रेस्टोरेंट सर्विसेज की सप्लाई करते थे।

यानि कि अगर कोई पर्सन गुड्स के साथ सर्विसेज की सप्लाई करता हो या केवल सर्विस ( रेस्टोरेंट सर्विसेज को छोड़कर ) की सप्लाई करता हो, तो उसके द्धारा कम्पोजीशन स्कीम अपनायी नहीं जा सकती थी। लेकिन, अब यह सिस्टम खत्म कर दिया है मगर कुछ शर्तो के साथ।

अब अगर कोई पर्सन गुड्स की सप्लाई के साथ किन्ही सर्विसेज की सप्लाई करता है, तो उसके द्धारा कम्पोजीशन स्कीम adopt की जा सकती है, यदि सप्लाई की जाने वाली सर्विसेज का टर्नओवर एक specified value से अधिक नहीं हो।

वह specified वैल्यू है –
  • पिछले फाइनेंसियल ईयर के टर्नओवर का 10 % या
  • Rs, 5 लाख

दोनों में जो भी अधिक हो।

जैसे – यदि किसी पर्सन का पिछले वर्ष गुड्स की सप्लाई से टर्नओवर 1 करोड़ 20 लाख था और वह इस वर्ष गुड्स के साथ कुछ सर्विसेज की सप्लाई भी करना चाहता है, तो उसका सर्विसेज से टर्नओवर Rs. 12 लाख ( 1 करोड़ 20 लाख का 10 %) से अधिक नहीं होना चाहिए, तो वह कम्पोजीशन स्कीम को अपना सकता है।

केवल सर्विसेज की सप्लाई करने वाले पर्सन – 

जैसे कि पहले बताया कि सिर्फ रेस्टोरेंट सर्विसेज प्रदान करने वाले पर्सन के द्धारा ही कम्पोजीशन स्कीम अपनायी जा सकती है, लेकिन अन्य सर्विसेज प्रदान करने वाले पर्सन की परेशानी को ध्यान में रखते हुए सर्विस प्रोवाइडर को भी कम्पोजीशन स्कीम को अपनाने की सुविधा दी गयी है।

अब कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन उन सर्विसेज प्रोवाइडर के द्धारा भी करवाया जा सकता है, जो कि सिर्फ सर्विसेज की सप्लाई में लगे हुए है, जैसे – सैलून स्टाइलिस्ट, इंटीरियर डिजाइनिंग, टेलरिंग, advertisement, डिजिटल मार्केटिंग सर्विसेज etc . लेकिन, इन सर्विस प्रोवाइडर का टर्नओवर एक फाइनेंसियल ईयर में Rs. 50,00,000 से अधिक नहीं होना चाहिये ।

यानि कि जिन सर्विस प्रोवाइडर का टर्नओवर Rs. 50 लाख से कम है, वे अब कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवा सकते है।

Gst Rates for service provider registered under composition scheme 

सर्विस प्रोवाइडर को 6 % की रेट से टैक्स देना होगा, जिसमे 3 % CGST और 3 % SGST होगा।

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड सर्विस प्रोवाइडर द्धारा टैक्स इनवॉइस जारी नहीं किया जा सकता है। इनके द्धारा सिर्फ बिल ऑफ़ सप्लाई ही जारी किया जा सकता है।

कम्पोजीशन टैक्सेशन स्कीम में  ITC क्लेम नहीं की जा सकती, न ही कस्टमर्स से टैक्स कलेक्ट किया जा सकता है और न ही इंटरस्टेट सप्लाई की जा सकती है।

सर्विस प्रोवाइडर द्धारा कम्पोजीशन स्कीम में टैक्स देने की स्कीम में रजिस्ट्रेशन कैसे करवाया जाये ?

यदि किसी सर्विस प्रोवाइडर द्धारा पहली बार जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाया जा रहा है, तो उसके द्धारा Form GST CMP- 01 फाइल किया जायेगा,

लेकिन यदि सर्विस प्रोवाइडर पहले से जीएसटी में रजिस्टर्ड है और उसके द्धारा अपने जीएसटी रजिस्ट्रेशन को कम्पोजीशन स्कीम में ट्रांसफर किया जा रहा है, तो उसके द्धारा FORM GST CMP – 02 फाइल किया जायेगा।

इस स्कीम में रजिस्ट्रेशन करने वाले पर्सन को CMP 01 या CMP 02 फॉर्म में पर्सन की केटेगरी में तीसरे ऑप्शन का चुनाव करना होगा।

किन पर्सन के द्धारा Composition scheme अपनायी नहीं जा सकती है ?

कुछ पर्सन के द्धारा Composition scheme को नहीं अपनाया जा सकता,भले ही उनका टर्नओवर Rs. 1.5 करोड़ से कम हो।

ऐसे पर्सन है –

  • Inter State supply करने वाले पर्सन,
  • ऐसे गुड्स की सप्लाई करने वाले पर्सन जिन गुड्स पर जीएसटी नहीं लगाया जाता
  • ई – कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से supply करने वाले person
  • आइसक्रीम, पान मसाला और तंबाकू के निर्माता
  • Casual टैक्सेबल पर्सन  & नॉन – रेजिडेंट पर्सन

कम्पोजीशन स्कीम को अपनाने के सम्बन्ध में अन्य कंडीशंस – composition scheme under gst

  • Composition scheme में रजिस्टर्ड पर्सन के द्धारा टैक्स इनवॉइस जारी नहीं किया सकता और न ही अपने कस्टमर्स से जीएसटी कलेक्ट किया जा सकता है।
  • इन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन के द्धारा इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं की जा सकती।
  •  कम्पोजीशन स्कीम उन सभी पर्सन पर एप्लीकेबल होगी हो जो कि एक पैन नंबर से रजिस्टर्ड है, यदि इन पर्सन में से कोई भी पर्सन रेगुलर स्कीम को adopt करता है, तो बाकि सभी पर्सन कम्पोजीशन स्कीम से बाहर हो जायेंगे।
  • इस स्कीम को अपनाने वाले पर्सन के स्टॉक में कोई गुड्स unregistered person से नहीं ख़रीदा हुआ होना चाहिए, और अगर ऐसा स्टॉक है तो उस पर रिवर्स चार्ज के आधार पर टैक्स का पेमेंट किया जा चुका होना चाहिये।
  • कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन पर रिवर्स चार्ज एप्लीकेबल होता है, तो उसके द्धारा नार्मल रेट से टैक्स का पेमेंट किया जायेगा।
  • उसके द्धारा बिल ऑफ़ सप्लाई जारी किया जायेगा, जिस पर ” composition taxable person, not eligible to collect tax on supplies मेंशन करना होगा।

 

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