ट्रस्ट और एनजीओ (NGO) के री – रजिस्ट्रेशन से जुड़े रूल्स। charitable trust budget 2020

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charitable trust budget 2020

charitable trust budget 2020 – बजट 2020 में ट्रस्ट और एनजीओ को लेकर इनकम टैक्स एक्ट में काफी बदलाव किये गए थे, जिसमे ट्रस्ट या एनजीओ के रजिस्ट्रेशन के रिन्यूअल (renewal) से जुड़े प्रावधान भी शामिल है।

बजट 2020 के ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन या रिन्यूअल की ऍप्लिकेबिलिटी से जुड़े सभी नए प्रावधान 1 अप्रैल 2021 से सभी नए व पुराने ट्रस्ट और एनजीओ पर लागू होते है।

इन बदलावों के अनुसार इनकम टैक्स में रजिस्टर्ड सभी ट्रस्ट और एनजीओ को 1 अप्रैल 2021 से दुबारा रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और अगर दुबारा रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया जाता है, तो इन संस्थाओ को अपनी इनकम और सम्पति पर टैक्स देना होगा

आज के आर्टिकल में हम ट्रस्ट और एनजीओ के रजिस्ट्रेशन और री – रजिस्ट्रेशन से जुड़े रूल्स पर चर्चा करेंगे।

यह भी देखे –

ट्रस्ट और एनजीओ पर बजट 2020 का प्रभाव। (charitable trust budget 2020)

Budget 2020 में ट्रस्ट और एनजीओ के रजिस्ट्रेशन, री – रजिस्ट्रेशन और प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन से जुड़े नए रूल्स लाये गए है।  यह सभी रूल्स उन संस्थानों पर एप्लीकेबल होंगे, जो कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 के निम्न सेक्शन में रजिस्टर्ड है –

  • सेक्शन 12A/ 12AA
  • सेक्शन 80G
  • सेक्शन 10(23C)

अगर कोई संस्था इन में से किसी भी सेक्शन में रजिस्टर्ड है, तो 1अप्रैल 2021 से 3 महीने के भीतर यानि कि 30 जून 2021 तक वापस से रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा।

अगर ये संस्थाएँ वापस से रजिस्ट्रेशन (re – registration ) के लिए अप्लाई नहीं करती , तो इन संस्थाओ का रजिस्ट्रेशन कैंसिल माना जायेगा और जो छूट इन्हे इनकम टैक्स में मिल रही थी, वे वापस ले ली जाएगी।

अभी तक इन सेक्शनों में रजिस्ट्रेशन करवाने वाली संस्थानों को सिर्फ एक ही बार रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता था और यह रजिस्ट्रेशन तब तक प्रभावी रहता था, जब तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्धारा रजिस्ट्रेशन कैंसिल नहीं कर दिया जाता था।

रजिस्ट्रेशन और री – रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कैसे करे ?

पहले से रजिस्टर्ड ट्रस्ट और एनजीओ को प्रिंसिपल कमीशनर या कमीशनर ऑफ़ इनकम टैक्स के पास री – रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा।

कमीशनर के पास जिस महीने में अप्लाई किया गया है, उस महीने के समाप्त होने के 3 महीने के भीतर इन संस्थाओं का री – रजिस्ट्रेशन कर दिया जायेगा।

दुबारा रजिस्ट्रेशन के लिए इन संस्थाओं से किसी प्रकार के कोई डाक्यूमेंट्स नहीं मंगवाये जायेंगे, requirements सिर्फ यह रहेगी कि इन संस्थानों को सिर्फ दुबारा रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा।

Re – registration सेक्शन 12AB में किया जायेगा। यह नियम बजट 2020 में बताये गए थे।

री – रजिस्ट्रेशन के बाद क्या होगा ?

ट्रस्ट या एनजीओ का दुबारा रजिस्ट्रेशन होने के बाद इनके द्वारा सभी टैक्स एग्जेम्पशन प्राप्त की जा सकती है, जो कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 में बताई गयी है।

लेकिन, यह रजिस्ट्रेशन इन ट्रस्ट या एनजीओ के लिए लाइफ टाइम वैलिड नहीं रहेगा। यह सिर्फ आगे के 5 वर्षों तक ही वैलिड रहेगा , 5 वर्ष की समाप्ति के बाद 6 महीने के भीतर इन्हे फिर से रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा।

5 वर्ष के बाद दुबारा रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करते समय कमीशनर द्धारा किसी भी तरह के रिकार्ड्स मांगे जा सकते है, जिससे वह संस्थान के ऑब्जेक्ट्स के सम्बन्ध में संतुष्ट हो सके।

यानि कि यह कहा जा सकता है कि अब हर 5 वर्ष के बाद ट्रस्ट या संस्थानो को दुबारा रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होगा।

एनजीओ या ट्रस्ट का दुबारा रजिस्ट्रेशन (turst/NGO re – registration ) 

सभी पुराने ट्रस्ट या संस्थाओं को अगर टैक्स एग्जेम्पशन प्राप्त करनी है, तो उन्हें दुबारा रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा। री – रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने पर इन संस्थानों को मिलने वाली टैक्स एग्जेम्पशन वापस ले ली जाएँगी।

इसके अलावा, अगर दुबारा रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई नहीं किया जाता, तो रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की वैलिडिटी समाप्ति की डेट को इन ट्रस्ट या संस्थानों को असेट्स की फेयर मार्केट वैल्यू निकाली जायेगी और उसमे से कुल liabilities को घटाया जायेगा। इसके बाद अगर असेट्स की पॉजिटिव वैल्यू बचती है, तो इस पर maximum marginal rate से टैक्स लगाया जायेगा।

इन सभी प्रावधानों को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 115TD में बताया गया है।

दुबारा रजिस्ट्रेशन के लिए सभी ट्रस्ट और संस्थानों को अप्लाई करना होगा, चाहे इन संस्थानों की किसी तरह की कोई इनकम हो रही हो या नहीं।

यह भी देखे –

नए रजिस्ट्रेशन होने वाले ट्रस्ट,एनजीओ या अन्य संस्थानों के सम्बन्ध में क्या रूल्स लागू होंगे ?

बजट 2020 में नए ट्रस्ट या संस्थान के लिए प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन का कांसेप्ट लाया गया है।

यदि कोई पर्सन किसी ट्रस्ट या संस्थान को पहली बार इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80G या सेक्शन 12A या सेक्शन 10(23C ) में रजिस्ट्रेशन करवा रहा है, तो उस पर्सन को पहले प्रोविज़नल रजिस्ट्रेशन जारी किया जायेगा। प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन के लिए फॉर्म 10A में अप्लाई करना होगा।

फॉर्म 10A – डाउनलोड करे।

प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन अगले 3 असेसमेंट ईयर के लिए दिया जायेगा, इसके बाद आपको रेगुलर रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा।

प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन के समाप्त होने के 6 महीने के भीतर या ट्रस्ट या संस्थान की एक्टिविटी प्रारम्भ होने के 6 महीने के भीतर, जो भी पहले हो, रेगुलर रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा। रेगुलर रजिस्ट्रेशन के लिए फॉर्म 10AB में अप्लाई करना होगा।

फॉर्म 10AB – पीडीएफ

रेगुलर रजिस्ट्रेशन के समय कमीशनर द्धारा आवश्यक डाक्यूमेंट्स व सूचनाये मांगी जा सकती है।

क्या ट्रस्ट या संस्थान को डोनेशन के सम्बन्ध में एनुअल स्टेटमेंट फाइल करना होगा ? 

सेक्शन 80G में रजिस्टर्ड संस्थान को प्रत्येक वर्ष एनुअल स्टेटमेंट फाइल करना होगा, जिसमें उस संस्थान के द्धारा प्राप्त डोनेशन की डिटेल्स होगी। अगर संस्थान द्धारा एनुअल स्टेटमेंट फाइल नहीं किया जाता, तो डोनर को दिए गए डोनेशन की इनकम टैक्स में कोई छूट प्राप्त नहीं होगी।

या एनुअल स्टेटमेंट में किसी डोनर की डिटेल नहीं होती, तो उस डोनर को भी छूट प्राप्त नहीं होगी।

इसके साथ ही सेक्शन 80G में रजिस्टर्ड संस्थान को दानदाता (Donor) को सर्टिफिकेट भी जारी करना होगा, जिसमे उसके द्धारा दिए गए डोनेशन की डिटेल होगी।

यदि संस्थान द्धारा निर्धारित फॉर्म और टाइम लिमिट में Annual statement फाइल नहीं किया जाता, तो उस संस्थान पर सेक्शन 234G में फीस चार्ज की जायेगी।

यह फीस Rs 200 प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज की जाएगी। यह फीस तब तक चार्ज की जायेगी जब तक एनुअल स्टेटमेंट फाइल नहीं किया जाता।

इसके अलावा इनकम टैक्स एक्ट 1961 में सेक्शन 271K भी जोड़ा गया है, जिसमे पेनल्टी के प्रावधान बताये गए है।

सेक्शन 271K के अनुसार यदि कोई संस्थान डोनेशन के सम्बन्ध में Annual Statement फाइल नहीं करता तो उस संस्थान पर कम से कम Rs 10,000 और अधिकतम Rs 1 लाख की पेनल्टी लगायी जाएगी।

ये सभी प्रावधान 1 अप्रैल 2021 से एप्लीकेबल से लागू हो चुके है।

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