सैलरी पर टीडीएस से जुड़े इन रूल्स को जरूर जाने – tds on salary

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tds on salary – इनकम टैक्स रूल्स के अनुसार कोई भी एम्प्लायर जो कि एम्प्लाइज को सैलरी का पेमेंट करता है, को सेक्शन 192 में सैलरी पर टीडीएस काटना होगा। हालाँकि, टीडीएस उसी एम्प्लोयी की सैलरी पर काटना होगा, जिस एम्प्लोयी की सैलरी बेसिक exemption लिमिट से ज्यादा हो।

TDS काटने के बाद एम्प्लायर को टीडीएस अमाउंट सरकार को जमा करवाना होगा और एम्प्लोयी को टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करना होगा।

एम्प्लायर द्धारा टीडीएस नहीं काटने के केस में एम्प्लायर को इंटरेस्ट और पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है।

आज के आर्टिकल (tds on salary) में हम सैलरी पर टीडीएस काटने के रूल्स के बारे में चर्चा करेंगे।

Table of Contents

कौन – कौन से एम्प्लायर टीडीएस काटने के लिए जिम्मेदार होंगे ?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 192 में सैलरी पर टीडीएस काटने के रूल्स के बारे में बताया गया है। इन रूल्स के अनुसार एम्प्लायर में सभी टाइप्स के एम्प्लायर को शामिल किया जायेगा ।

यानि कि इंडिविजुअल, कंपनी, फर्म , HUF किसी भी तरह के पर्सन द्धारा एम्प्लोयी को सैलरी का पेमेंट किया जाता है, तो उन एम्प्लायर पर सेक्शन 192 एप्लीकेबल होगा और इस सेक्शन के रूल्स के अनुसार टीडीएस काटना होगा।

हालाँकि, टीडीएस उन्ही एम्प्लाइज का काटा जायेगा, जिनकी सैलरी टैक्सेबल होगी।

साथ ही सैलरी पर टीडीएस काटने के केस में एम्प्लायर – एम्प्लोयी का रिलेशन भी होना चाहिए।  जैसे – फर्म के पार्टनर्स को दी जाने वाली सैलरी पर सेक्शन 192 में टीडीएस नहीं काटा जायेगा

इसी तरह होटल के स्टाफ के कर्मचारियों को मिलने वाली टिप को भी सैलरी नहीं माना जायेगा, इसलिए सेक्शन 192 में टीडीएस नहीं काटा जा सकता।

सैलरी पर टीडीएस कब काटा जायेगा ?

एम्प्लायर द्वारा सैलरी पर टीडीएस तभी काटा जायेगा, जब उनकी टोटल इनकम basic exemption limit से ज्यादा होगी। अगर एम्प्लोयी की टोटल इनकम इस लिमिट से कम होती है, तो एम्प्लायर टीडीएस नहीं काटेगा।

basic exemption limit – 
Resident individual ( below 60 years) 2.5 lakh
senior citizens ( 60 years to 80 years 3 lakh
super senior citizens ( above 80 years) 5 lakh

 

सेक्शन 192 में सैलरी पर टीडीएस काटने के रूल्स –

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Section 192 में एम्प्लोयी का टीडीएस काटने के लिए एम्प्लायर को कुछ रूल्स को फॉलो करना होता है, जो कि है –

  • सैलरी पर टीडीएस एवरेज टैक्स रेट से काटा जाता है।
  • एवरेज टैक्स रेट निकालने के लिए फाइनेंसियल ईयर की शुरुआत में एम्प्लोयी की सैलरी का अनुमान लगाना होता है।
  • एम्प्लोयी की अनुमानित सैलरी पर एप्लीकेबल स्लैब रेट से टैक्स निकाला जायेगा और निकाले गए टैक्स अमाउंट में एम्प्लोयी की अनुमानित वार्षिक सैलरी का भाग देकर एवरेज टैक्स रेट निकाली जाती है।
example (tds on salary calculation ) –

Mr आकाश की सैलरी 1 लाख प्रति महीना है और एम्प्लोयी के पास कोई डिडक्शन नहीं है, जिनकी वह छूट क्लेम कर सके।

इस केस में mr आकाश की कुल वार्षिक सैलरी 12 लाख होगी और स्टैण्डर्ड डिडक्शन की 50 हजार की छूट क्लेम करने के बाद कुल टैक्सेबल इनकम 11,50,000 की होगी।

इस इनकम पर पुरानी स्लैब रेट से टैक्स कैलकुलेट करेंगे, तो 1,63,800 का टैक्स अमाउंट आएगा।

टैक्स अमाउंट में एम्प्लोयी की सैलरी का भाग देंगे, तो टीडीएस काटने के लिए एवरेज टैक्स रेट निकल कर आयेगी। जैसे – 163800 / 1200000 = .1365*100 = 13.65 %

यानि कि एम्प्लायर द्वारा mr आकाश को हर महीने सैलरी का पेमेंट करने से पहले 13.65 % ( 100000 * 13.65 %) की रेट से टीडीएस काटना होगा।

यह भी देखे – इनकम टैक्स एक्ट में सैलरीड एम्प्लोयी को दी जाने वाली डिडक्शन -deduction from salary

नई स्लैब रेट में टीडीएस के रूल्स (tds on salary) –

अगर कोई एम्प्लोयी नई स्लैब रेट से टैक्स देना चाहता है, तो इसकी सूचना उसे एम्प्लायर को देनी होगी। ताकि एम्प्लायर द्वारा नई स्लैब रेट के प्रावधानों के अनुसार एम्प्लोयी का टीडीएस काटा जा सके।

अगर एम्प्लोयी द्वारा एम्प्लायर को स्लैब रेट के चुनाव को लेकर कोई सूचना नहीं दी जाती है, तो एम्प्लायर द्वारा पुरानी स्लैब रेट के प्रावधानों के अनुसार ही टीडीएस काटा जायेगा।

हालाँकि, एम्प्लोयी द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय नई या पुरानी किसी भी स्लैब रेट का चुनाव किया जा सकता है।

यह भी देखे – कौनसी टैक्स स्लैब रेट चुने ? old and new tax slab in hindi

एम्प्लोयी द्वारा एम्प्लायर को सूचना –

एम्प्लोयी द्वारा एम्प्लायर को सही टीडीएस काटने के लिए खुद के द्वारा किये गए टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट, खर्चो, हाउस रेंट अलाउंस, टीडीएस, हाउस प्रॉपर्टी के losses आदि की जानकारी देनी होगी।

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ताकि, एम्प्लायर द्वारा टीडीएस की कैलकुलेशन में इन सभी की छूट दी जा सके।

एम्प्लायर द्वारा सिर्फ हाउस प्रॉपर्टी हेड के losses को ही टीडीएस कैलकुलेशन में छूट के लिए कंसीडर किया जायेगा, किसी दूसरे हेड के लॉसेस को नहीं।

इन सभी की सूचना एम्प्लोयी द्वारा फॉर्म 12BB में एम्प्लायर को दी जाएगी।

यह भी देखे – हाउस प्रॉपर्टी से इनकम के सम्बन्ध में टैक्स लगाने की प्रोसेस क्या होती है ?income from house property in hindi

एक से अधिक एम्प्लायर के केस में टीडीएस रूल्स –

अगर एम्प्लोयी एक से अधिक एम्प्लोयी के पास काम करता है, तो उसे किसी एक एम्प्लायर को अपनी टोटल सैलरी, डिडक्शन, टीडीएस आदि की जानकारी देनी होगी।

इसके अलावा अगर कोई एम्प्लोयी एक जॉब को छोड़कर किसी दूसरे एम्प्लायर के पास जॉब करने लगता है, तो उसे अपने वर्तमान एम्प्लायर को पुराने एम्प्लायर से प्राप्त सैलरी, काटे गए टीडीएस आदि की जानकारी देनी होगी, ताकि नए एम्प्लायर द्वारा इस सुचना को टीडीएस काटने में काम लिया जा सके।

इम्पोर्टेन्ट Q & A – tds on salary

 

Q – क्या सैलरी पर टीडीएस कटौती के समय सेक्शन 89(1) की रिलीफ दी जाएगी ?

A – अगर सैलरी सरकारी कर्मचारी या कंपनी, लोकल अथॉरिटी, को – ऑपरेटिव सोसाइटी, यूनिवर्सिटीज, इंस्टीटूशन्स, AOP/BOI के कर्मचारियों को दी जा रही है, तो सेक्शन 89(1) में दी जाने रिलीफ को कंसीडर करके टीडीएस कटौती की जाएगी।

Q – सैलरी पर टीडीएस कटौती के बाद एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी को कौनसा टीडीएस सर्टिफिकेट दिया जायेगा ?

A – सेक्शन 192 में एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी को टीडीएस सर्टिफिकेट के रूप में फॉर्म 16 दिया जाता है, फॉर्म 16 एम्प्लायर द्वारा साल में एक बार दिया जायेगा।

Q – एम्प्लायर द्वारा टीडीएस काटने के बाद सरकार को कब जमा करवाया जाता है ?

A –  अगर टीडीएस सरकारी कंपनी द्वारा काटा जाता है, तो यह उसी दिन सरकार को जमा करवाना होता है। दूसरे एम्प्लॉयर्स के केस में टीडीएस जिस महीने में काटा गया है, उसकी समाप्ति के 7 दिनों के भीतर जमा करवाना होता है। हालाँकि, मार्च महीने में काटा गया टीडीएस 30 अप्रैल तक जमा करवाना होता है।

Q – क्या एम्प्लायर द्वारा फॉर्म 16 के अलावा दूसरा कोई सर्टिफिकेट भी एम्प्लोयी को दिया जाता है ?

A – एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी को फॉर्म 12BA भी दिया जाता है, जिसमे एम्प्लोयी को दी गयी perquisites or profit in lieu of salary की डिटेल्स होती है। हालाँकि, यह उसी एम्प्लोयी को दिया जायेगा, जिसकी सैलरी 1.5 लाख से ज्यादा की हो।

Q – अगर एम्प्लोयी द्वारा एम्प्लायर को टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट या खर्चो की डिटेल्स नहीं दी जाती है, तो एम्प्लायर के पास क्या ऑप्शन होगा ?

A – एम्प्लायर द्वारा सही टीडीएस काटा जाये, इसके लिए जरुरी है कि वह एम्प्लोयी से सभी टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट या खर्चो के प्रूफ ले। अगर एम्प्लोयी इन प्रूफ को एम्प्लायर को जमा नहीं करवाता, तो एम्प्लायर बिना इनके भी एम्प्लोयी का टीडीएस काट सकता है।

Q – एम्प्लायर द्वारा ज्यादा टीडीएस काटने के केस में एम्प्लोयी के पास क्या ऑप्शन होगा ?

A – अगर एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी का ज्यादा टीडीएस काट लिया जाता है, तो एम्प्लोयी अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करके टीडीएस का रिफंड ले सकता है।

Q – Employer द्वारा टीडीएस नहीं काटने या काटने के बाद जमा नहीं करने पर क्या होगा ?

A – अगर एम्प्लायर किसी एम्प्लोयी का टीडीएस नहीं काटता, जहाँ टीडीएस काटना जरुरी था, तो एम्प्लायर पर प्रति महीने 1 % की रेट से टीडीएस अमाउंट पर इंटरेस्ट लगाया जायेगा। इसके अलावा टीडीएस काटने के बाद सरकार को जमा नहीं करवाने पर 1.5 % प्रति महीने की रेट से इंटरेस्ट चार्ज किया जायेगा।

 

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