कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन से जुड़े इम्पोर्टेन्ट रूल्स – composition scheme under gst

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composition scheme under gst – जीएसटी लॉ में दो तरह की टैक्स स्कीम चलती है, जिसमे कोई पर्सन रजिस्ट्रेशन करवा सकता है – (1) नार्मल स्कीम (2 ) कम्पोजीशन स्कीम .

अगर कोई पर्सन जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है, तो वह इन दोनों स्कीम्स में से एक में रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। इन दोनों स्कीम के अपनाने के कुछ फायदे भी है तो कुछ नुकसान भी।

लेकिन, यदि कोई ऐसा पर्सन जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है, जिसका टर्नओवर भी ज्यादा नहीं है और ज्यादा रिकार्ड्स को मेन्टेन करना या जीएसटी की रेट्स के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता, तो उसे कम्पोजीशन स्कीम में ही रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए।

composite and mixed supply under gst

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composite and mixed supply – जीएसटी सिस्टम में किसी भी गुड्स या सर्विसेज पर जीएसटी लगाने के लिए सबसे पहले यह देखा जाता है कि गुड्स या सर्विसेज की वास्तव में सप्लाई हुई है या नहीं।

अगर गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई है, तो इस पर जीएसटी लगाया जायेगा। जीएसटी कानून में सभी गुड्स या सर्विसेज की टैक्स रेट बताई गयी है, जिसके हिसाब से किसी भी गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई पर टैक्स लगाया जा सकता है।

अगर किसी एक ही गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई की जा रही है, तो इस पर जीएसटी लगाने में आपको कोई परेशानी नहीं आयेगी।

जीएसटी में टीडीएस काटने के सम्बन्ध में रूल्स क्या है ? tds under gst in hindi

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[sg_popup id=”1959″ event=”onLoad”][/sg_popup]tds under gst in hindi – टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स जिसे शार्ट में टीडीएस भी कहा जाता है। जिस तरह इनकम टैक्स एक्ट में कुछ निश्चित पेमेंट्स पर टीडीएस काटने के प्रावधान है उसी तरह जीएसटी में भी टीडीएस के प्रावधान लागू किये गए है ।

goods and services tax भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया, लेकिन जीएसटी में tds का कांसेप्ट 1 अक्टूबर 2018 से लाया गया।

जीएसटी में टीडीएस के प्रावधान लागू करने के पीछे कारण यह था कि सरकार के पास पर्याप्त cash inflow बना रहे, साथ ही जीएसटी में होने वाले ट्रांजेक्शनों पर नजर रखी जा सके।

जीएसटी में कौनसा बिल कब जारी किया जाता है ? gst invoice

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gst invoice -जीएसटी सिस्टम में जब भी आप किसी गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करते है, तो आपके द्वारा कस्टमर को बिल (invoice ) जारी किया जाता है। इस बिल में उन गुड्स और सर्विसेज की डिटेल्स रहती है जिनको आपने सप्लाई किया है।

इसके अलावा इन invoices में आपको अपने जीएसटी नंबर, बिल के नंबर और डेट, कस्टमर की डिटेल्स, टैक्स अमाउंट, टैक्स रेट, HSN कोड आदि बातों की डिटेल्स देनी होती है।

कैपिटल गुड्स की इनपुट टैक्स क्रेडिट कैसे ली जा सकती है ? itc on capital goods under gst

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itc on capital goods under gst – जीएसटी सिस्टम में गुड्स और सर्विसेज (ITC ) की इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने में काफी कैलकुलेशन और समस्या का सामना करना पड़ता है। किस तरह के गुड्स या सर्विसेज की इनपुट टैक्स क्रेडिट हमें प्राप्त होगी और किनकी हमें प्राप्त नहीं होगी।

और अगर किसी भी तरह की input tax credit (ITC) हमें प्राप्त होती है तो उसको प्राप्त करने के रूल्स क्या होंगे ? इनसभी के बारे में अधिकतर लोग पूरी तरह क्लियर नहीं होते है।

what is gst practitioner in hindi – जीएसटी प्रैक्टिशनर से जुडी महत्वपूर्ण बातें

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what is gst practitioner in hindi -जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन को जीएसटी से जुडी लीगल कंप्लायंस को पूरा करने में काफी परेशानियों का सामना करने की वजह से गवर्नमेंट द्वारा GST PRACTITIONER का कांसेप्ट लाया गया।

जीएसटी प्रैक्टिशनर एक टैक्सपेयर की जीएसटी से जुडी अनिवार्यताओं को पूरा करने में मदद करता है। एक टैक्सपेयर अपनी जीएसटी से जुडी कंप्लायंस को पूरा करने के लिए किसी जीएसटी प्रैक्टिशनर को appoint कर सकता है।