इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करते समय इन बातों को न भूले – income tax return filing

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income tax return filing

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Income tax return filing

एक टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय बहुत ही ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिये, क्योकि यह एक ऐसा काम है जहाँ अगर आप कोई गलती करते है, तो आपकी रिटर्न इनवैलिड हो सकती है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से आपको नोटिस भी मिल सकता है।

हालाँकि, अधिकतर लोग अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को अपने टैक्स सलाहकार से ही भरवाना पसंद करते है, लेकिन आज के डिजिटल युग में जहाँ इनकम टैक्स से जुडी काफी जानकारियां ऑनलाइन मिल रही है, तो टैक्सपेयर भी अपनी रिटर्न खुद भरना पसंद कर रहे है।

लेकिन, अधिकतर लोगो को आईटीआर फाइलिंग से जुडी पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से उनकी रिटर्न फाइलिंग में काफी गलतियां होने की सम्भावना बढ़ जाती है, जिससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को उन लोगो को इनकम टैक्स नोटिस जारी करने का मौका मिल जाता है और टैक्सपेयर बेवजह की परेशानी में पड़ जाते है।

हालाँकि, खुद की रिटर्न खुद फाइल करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन आपको इसके सम्बन्ध में पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी है।

इसलिए आज के आर्टिकल (income tax return filing) में हम इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करते समय ध्यान रखने वाली बातों के बारे में चर्चा करेंगे।

लेकिन, इन इम्पोर्टेन्ट बातों के बारे में चर्चा करने से पहले ITR से जुडी बेसिक जानकारी के बारे में जानेगे।

यह भी देखे –

Income Tax Return (ITR ) क्या होती है ?

इनकम टैक्स रिटर्न को शार्ट में ITR भी कहा जाता है, जो कि टैक्सपेयर द्वारा एक फाइनेंसियल ईयर में एक बार फाइल की जाती है।

टैक्सपेयर द्वारा एक फाइनेंसियल ईयर (1 अप्रैल से 31 मार्च ) में कितनी इनकम कमाई गयी है, इस इनकम को कमाने के सोर्स क्या है और इस इनकम पर कितना टैक्स देना होगा, आदि सभी की जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देनी होती है।

Income tax return में बताई गयी इनकम पर बनने वाले टैक्स का पेमेंट आपको सरकार को करना होगा। इस तरह इनकम टैक्स रिटर्न आपके इनकम का भी एक वैलिड प्रूफ होता है।

क्या आपके लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरुरी है ?

यदि, आप एक इंडिविजुअल है और अपनी income tax return filing करने की सोच रहे है,

तो सबसे पहले आपका यह जानना जरुरी है कि क्या आपको income tax return filing करना इनकम टैक्स एक्ट के हिसाब से जरुरी है या आप अपनी इच्छा से इसे फाइल कर रहे है।

क्योकि, अगर आपको ITR filing करना जरुरी है और आप इसे फाइल नहीं करते है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्धारा आपको बाद में नोटिस दिया जा सकता है।

इसलिए, यदि आपकी gross total इनकम basic exemption limit से अधिक है तो निश्चित ही आपको income tax return filing करनी होगी।

यहाँ पर gross total income से मतलब उस इनकम से है जो कि बिना किसी डिडक्शन या exemption को क्लेम करे निकाली जायेगी।

जैसे – यदि असेसमेंट ईयर 2021-22 में आपकी gross total income 3.5 लाख है और आपके पास कुल डिडक्शन ( जैसे – इंश्योरेंस पालिसी, होम लोन etc.) 1.5 लाख की है,

तो इस केस में डिडक्शन को क्लेम करने के बाद आपकी इनकम 2 लाख (3.5 लाख -1.5 लाख ) होगी जो कि basic exemption limit 2 .5 लाख से कम है।

लेकिन आपकी gross total income (डिडक्शन क्लेम करने से पहले ) 3 .5 लाख है जो कि basic exemption लिमिट से अधिक है, इसलिए आपके लिए इनकम टैक्स रिटर्न due date से पहले फाइल करना जरुरी होगा।

इसके अलावा यदि आपकी इनकम basic exemption limit से कम है और आपका कुछ टीडीएस काटा जा चुका है। तो इस केस में भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरुरी होगा, ताकि आप काटे गए टीडीएस का रिफंड क्लेम कर सके।

इसलिए, अगर आपकी gross total income बेसिक exemption limit से अधिक है और आपका पूरा टीडीएस काटा जा चुका है, तो भी आप income tax return filing करने की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो जाते।

कुछ अन्य केस जहाँ रिटर्न फाइलिंग आपके लिए अनिवार्य होगी – 
  • एक फाइनेंसियल ईयर में 1 करोड़ या अधिक राशि करंट अकॉउंट में जमा करने पर,
  • एक लाख या अधिक के बिजली के बिल का भुगतान पर,
  • 2 लाख या अधिक राशि फॉरेन ट्रेवलिंग पर खुद या किसी अन्य के लिए खर्च करने पर,
  • भारत के बाहर किसी सोर्स से इनकम होने पर,
  • भारत के बाहर किसी खाते में signing authority होने पर

income tax return को फाइल करने से पहले सही itr form का चुनाव करे –

आपके लिए सही itr form का चुनाव करना सबसे जरुरी काम है, चाहे आपके लिए income tax return filing करना जरुरी हो या नहीं।

भारत में काफी लोगो की रिटर्न सिर्फ इसलिए गलत हो जाती है, क्योकि उन्होंने सही itr forms का चुनाव नहीं किया होता है।

सही itr फॉर्म नहीं चुनने पर आपकी इनकम टैक्स रिटर्न डिफेक्टिव हो सकती है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा इसे प्रोसेस नहीं किया जायेगा। इस केस में आपके द्वारा रिटर्न फाइल की हुई नहीं मानी जायेगी।

इसलिए अगर आपने इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करते समय गलत itr form भरा है तो आपको काटे गए टीडीएस का का रिफंड भी नहीं दिया जायेगा।

आपके लिए कोनसा itr फॉर्म्स सही होगा यह जानने के लिए itr forms कौन -कौनसे होते है और कोनसा फॉर्म आपके लिए एप्लीकेबल होगा ? देखे।

income tax return filing के दौरान अपना फॉर्म 26 as चेक करना न भूले –

जब भी आप अपनी आई टी आर फाइल करे तो अपने फॉर्म 26 as को जरूर चेक करे। फॉर्म 26 एस को आप ऑनलाइन इनकम टैक्स पोर्टल पर चेक कर सकते है।

Form 26 as एक टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट होता है, जिसमे आपके द्धारा जमा करवाए गए टैक्स ( एडवांस टैक्स, सेल्फ असेसमेंट टैक्स etc.), टीडीएस, टीसीएस, टीडीएस रिफंड, टीडीएस डिफ़ॉल्ट, फाइनेंसियल ट्रांजेक्शन और जीएसटी टर्नओवर की डिटेल्स होती है।

यानि कि सरकार के पास आपके सम्बन्ध में इन चीजों से जुडी जो भी जानकारी होती है, वह फॉर्म 26AS में आपको शो होगी।

इसलिये, आपके द्वारा फाइल की गई इनकम टैक्स रिटर्न में और फॉर्म 26 as की डिटेल में कुछ अंतर होता है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको निश्चित ही इनकम टैक्स नोटिस जारी करेगा। इस नोटिस में आपके द्वारा की गयी गलती को सही करने के लिए कहा जायेगा।

इसलिए अनावश्यक परेशानी से बचने के लिए income tax return filing के दौरान फॉर्म 26 as को जरूर चेक करे और इस फॉर्म्स की डिटेल्स को अपनी रिटर्न से जरूर मिलान करे ।

हालाँकि, यह जरुरी नहीं है कि form 26AS में आपके टैक्स या अन्य चीजों से जुडी पूरी डिटेल्स हो। इसलिए अगर आपके पास कुछ एडिशनल जानकारी है, जो कि फॉर्म 26AS में नहीं है, तो उसे भी अपनी रिटर्न में रिपोर्ट करे

फॉर्म 26 as के बारे में जानने के लिए देखे – फॉर्म 26 as क्या है और इनकम टैक्स रिटर्न भरने में यह क्यों जरुरी है ?

Form 16 और अन्य tds certificates – 

इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से पहले अपने फॉर्म 16 और अन्य टीडीएस सर्टिफिकेट्स को भी जरूर चेक कर ले।

फॉर्म 16 और अन्य टीडीएस सर्टिफिकेट्स आपको उस केस में जारी किये जाते है, जब आपका टीडीएस काटा गया हो। अगर आपका टीडीएस नहीं काटा गया है, तो ये फॉर्म्स आपके पास नहीं होंगे।

अगर आपके पास ये टीडीएस सर्टिफिकेट्स है, तो आपकी फाइल की हुई रिटर्न और इन फॉर्म्स में भी किसी तरह का कोई अंतर नहीं होना चाहिए, अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्धारा इनमे अंतर पाया जाता है, तो डिपार्टमेंट आपको नोटिस जारी कर सकता है।

लेकिन, अगर इन टीडीएस सर्टिफिकेट्स और फॉर्म 26AS में बताये गए टीडीएस के अमाउंट में कोई अंतर आता है, तो हो सकता है कि आपका टीडीएस सरकार को जमा नहीं करवाया गया। इस अंतर के कारणों के बारे में जानने के लिए आपको अपने टीडीएस डिडक्टर से बात करनी होगी।

साथ ही जो भी डिडक्शन या exemption आप क्लेम कर रहे है, उनके सर्टिफिकेटस भी अपने पास संभाल कर रखे।  क्योकि बाद में कभी भी enquiry होने पर जो डिडक्शन आपने क्लेम की है, उनकी वास्तविकता दिखाने के लिए आपके पास इन सर्टिफिकेट्स का होना जरुरी है।

अगर बाद में कभी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से कोई enquiry होती है और आपके पास सर्टिफिकेट्स नहीं है, तो इनकी डिडक्शन आपको नहीं दी जाएगी और आपकी इनकम पर टैक्स की राशि भी बढ़ जाएगी।

इंटरेस्ट और अन्य इनकम को अपनी income tax return में जरूर रिपोर्ट करे – 

अधिकतर लोग income tax return filing के दौरान अपनी इंटरेस्ट और अन्य इनकम को रिपोर्ट नहीं करते।

इंटरेस्ट इनकम में आपके सेविंग अकाउंट के ब्याज, फिक्स्ड डिपाजिट का ब्याज और अन्य इंटरेस्ट को शामिल किया गया है। ये सभी इनकम आपके other source की इनकम मानी जाती है।

इनमे सेविंग अकाउंट के ब्याज की आप section 80tta में 10,000 तक के अमाउंट की छूट ले सकते है और अगर आप सीनियर सिटीजन है, तो सेक्शन 80TTB में 50 हजार तक के सेविंग अकॉउंट ब्याज की छूट ले सकते है।

यदि, आपकी फिक्स्ड डिपाजिट पर पहले टीडीएस काटा जा चुका है , तो भी इसे अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में जरूर रिपोर्ट करे।

अपनी टैक्स फ्री इनकम को income tax return filing के दौरान रिपोर्ट करना न भूले – 

यदि आपकी कोई इनकम टैक्स फ्री है तो इसका मतलब यह नहीं है कि इसे आपको अपनी income tax return में रिपोर्ट नहीं करना। टैक्स फ्री इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगाया जायेगा लेकिन इसे itr में रिपोर्ट करना जरुरी होता है, जैसे – एग्रीकल्चर इनकम।

एग्रीकल्चर इनकम टैक्स फ्री इनकम होती है, लेकिन अगर यह 5000 से ज्यादा है, तो इसे आपके टैक्स की कैलकुलेशन प्रोसेस में शामिल किया जायेगा। ऐसा करने से आप पर लगने वाली स्लैब रेट बढ़ सकती है।

इन टैक्स फ्री इनकम को रिपोर्ट नहीं करने पर आपको बाद में परेशानी उठानी पड़ सकती है। टैक्स फ्री इनकम को रिपोर्ट करने के लिए itr में अलग से कॉलम दिया हुआ होता है।

हालाँकि, एग्रीकल्चर land से हुई इनकम के अलावा भी काफी इनकम टैक्स फ्री होती है जिनके बारे में आप ऐसी इनकम जिन पर भारत में कोई टैक्स नहीं लगता देख सकते है।

इंडिया से बाहर की असेट्स को रिपोर्ट नहीं करना – 

यदि किन्ही करदाताओं की भारत से बाहर कोई असेट्स है तो उनके लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरुरी है , चाहे उनकी gross total income बेसिक exemption limit से ज्यादा हो या नहीं।

भारत के बाहर की असेट्स में आपके द्वारा foreign में कोई बैंक अकाउंट (चाहे आपका खुद का हो या आप उसमे beneficiary हो ) , कोई immovable प्रॉपर्टी या किसी शेयर में इन्वेस्टमेंट को शामिल किया गया जायेगा।

इन सभी की डिटेल आपको अपनी income tax return filing के दौरान देनी होगी।

अपने previous employer से प्राप्त सैलरी को भी income tax filing के दौरान जरूर report करे – 

यदि, आप किसी फाइनेंसियल ईयर के दौरान अपनी जॉब चेंज करते है , तो आपको अपने पुराने एम्प्लायर से प्राप्त सैलरी को भी अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होगा।

अधिकतर लोग अपने पुराने एम्प्लायर से प्राप्त सैलरी को सिर्फ इसलिए रिपोर्ट नहीं करते क्योकि उनकी इस सैलरी पर टीडीएस नहीं काटा गया था।

इसलिए जब भी आप अपनी जॉब चेंज करे तो अपने नए एम्प्लायर को अपने पुराने एम्प्लायर से प्राप्त सैलरी की जानकारी जरूर दे ताकि वह आपकी सैलरी पर सही तरीके से टीडीएस काट सके।

यदि आपकी इनकम 50 लाख से अधिक है तो अपनी सभी असेट्स का ब्योरा अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में दे – 

ऐसे व्यक्ति जिनकी कुल इनकम 50 लाख से अधिक है, वह income tax return filing में अपनी सभी असेट्स की जानकारी दे।

इनकम टैक्स रिटर्न में दी गयी असेट्स की वैल्यू की correct जानकारी देना भी बहुत जरुरी है। साथ ही आपको अपनी फाइनेंसियल असेट्स की भी जानकारी देनी होगी, जैसे – इन्शुरन्स पॉलिसीज, loans, शेयर्स और बांड्स , फिक्स्ड डिपॉजिट्स etc .

income tax return को due date से पहले फाइल करे और वेरीफाई करे – 

इनकम टैक्स रिटर्न को due date से पहले फाइल करे, चाहे आपके लिए रिटर्न फाइल करना जरुरी हो या नहीं।

यदि आप due डेट के बाद इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते है, तो आप पर इंटरेस्ट और पेनल्टी लगायी जायेगी।

income tax return फाइल करने के बाद इसे वेरीफाई करना न भूले। इनकम टैक्स रिटर्न को वेरीफाई करने के बाद ही आपकी आईटीआर फाइलिंग की प्रोसेस पूरी होगी।

हालाँकि, income tax return को आप due date के बाद वेरीफाई कर सकते है। रिटर्न को वेरीफाई करने के लिए आपके पास 120 दिन होते है, जो कि रिटर्न सबमिट करने की डेट से जोड़े जाते है।

 

अगर आपको आर्टिकल (income tax return filing) अच्छा लगा हो तो, इसे आगे शेयर जरूर करे।

 

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